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प्रादेशिक

बेटे-बेटियों के बीच भेदभाव संकीर्ण मानसिकता : रमन सिंह

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रायपुर,छत्तीसगढ़,मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह,भारतीय संस्कृति,बेटियां शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति, खेल

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रायपुर | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सूबे के बालोद जिले के एक गांव में बेटे की चाहत में एक पिता द्वारा अपनी दो बेटियों की कुएं में ढकेलकर हत्या किए जाने की घटना की तीव्र निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय घटना है। उन्होंने जिले के ग्राम फरदडीह में इस घटना में दोनों बालिकाओं की मृत्यु पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में बेटियों को हमेशा सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के रूप में आदर और सम्मान के साथ देखा जाता है। आधुनिक युग में बेटे और बेटियों के बीच फर्क करना संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। ऐसी रूढ़ीवादी मानसिकता से परिवार, समाज और देश का भला नहीं हो सकता।

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर की बेटियां शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति, खेल आदि विभिन्न क्षेत्रों में बेटों की तुलना में काफी आगे हैं और अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। बेटे-बेटियों में भेदभाव नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी उचित नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार ने हमेशा बेटियों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने बालिकाओं को कक्षा पहली से लेकर कॉलेज स्तर तक नि:शुल्क शिक्षा की सुविधा देने का निर्णय लेकर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग सहित सभी वर्गो के गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारों की बालिकाओं को हाई स्कूल में प्रवेश लेने पर नि:शुल्क साइकिल दी जाती है। इसके लिए सरस्वती साइकिल योजना का संचालन किया जा रहा है। त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

उत्तर प्रदेश

हरदोई में 16 बार चुनाव लड़ा, हर बार मिली हार, फिर से मैदान में उतरे शिवकुमार

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हरदोई। देश भर में चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और ऐसे में हरदोई में भी चुनाव की गरमा गरमी अब खूब देखने को मिल रही है। यहां पर एक ऐसे प्रत्याशी भी है जो 17 वी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। अब तक कुल 16 बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें आजतक किसी भी चुनाव में जीत नहीं मिली है। इनका नाम है शिवकुमार और यह शहर कोतवाली क्षेत्र के मन्नापुरवा के रहने वाले है।

इनका कहना है कि वह हारने के बाद भी वह चुनाव लड़ते रहेंगे क्योंकि जनता उनका सम्मान बरकरार रखती है। उन्होंने कहा कि इस बार अगर वह जीतते हैं तो लोकसभा क्षेत्र के लोगों की हर समस्या के समय उनके साथ खड़े रहेंगे और उनका सहयोग करेंगे। शिवकुमार ने प्रत्येक बार निर्दलीय होकर चुनाव लड़ा है।

शिवकुमार ने 3 प्रधानी के चुनाव 3 जिला पंचायत के साथ 7 चुनाव विधानसभा और अब तक 3 चुनाव दिल्ली वाले यानी लोकसभा ले लड़े है और अब वह चौथी बार 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनके मुद्दे क्या है अगर वह बता देंगे तो लोग नकल कर लेंगे।

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