अन्तर्राष्ट्रीय
ओबामा प्रशासन को बेनघाजी हमले पर कांग्रेस की क्लीनचिट
वाशिंगटन| लीबिया के बेनघाजी शहर स्थित अमेरिकी मिशन पर दो साल पहले हुए एक हमले के मामले में अमेरिकी संसद की समिति ने अपनी जांच में ओबामा प्रशासन पर लगे उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया था कि प्रशासन ने हमले पर समुचित प्रतिक्रिया नहीं की थी। प्रेस टीवी के मुताबिक, रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा की खुफिया समिति द्वारा शुक्रवार को जारी जांच रपट में कहा गया है कि सीआईए और सेना ने हमले के जवाब में समुचित कार्रवाई की थी। इस हमले में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवेंस और तीन सहकर्मियों की मौत हो गई थी।
सीएनएन के मुताबिक, 2012 के हमले के दौरान बेनघाजी में सीआईए के 35 कर्मी काम कर रह थे, लेकिन इस बारे में कभी कोई जानकारी नहीं सामने आई कि हमले में उनमें से कितने लोग मारे गए या कितने घायल हुए थे। विस्तृत जांच एवं साक्षात्कारों पर आधारित रपट में कहा गया है, “सीआईए ने बेनघाजी में सीआईए की गतिविधियों के लिए प्र्याप्त सुरक्षा इंतजाम कर रखे थे, और ऐसा करने की जरूरत बगैर हमले की रात सीआईए ने बहादुरी के साथ विदेश मंत्रालय की सहायता की थी।”
रपट में आगे बताया गया है, “काबिल अमेरिकी अधिकारियों ने उस रात उचित रणनीतिक निर्णय लिए थे। समिति को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि वहां उपलब्ध वायुसेना के सहयोग से इंकार किया गया था।” रपट में निष्कर्ष दिया गया है कि हमले में खुफिया विफलता नहीं थी और न ही सीआईए के बचाव दल को भेजने में देरी की गई थी। सेना ने भी बचाव में कोई चूक नहीं की थी। लेकिन रपट में कहा गया है कि हमले का शिकार हुए इस राजनयिक परिसर में सुरक्षा अपर्याप्त थी और इसे सीआईए की सहायता की जरूरत थी। रपट में यह भी कहा गया है कि परस्पर विरोधी खुफिया जानकारी के कारण हमले को लेकर प्रशासन सही अनुमान नहीं लगा पाया था।
अन्तर्राष्ट्रीय
सरबजीत सिंह के हत्यारे की लाहौर में हत्या, अज्ञात हमलावरों ने घर में घुसकर मारी गोली
नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में सरबजीत सिंह की हत्या करने वाले शख्स अमीर सरफराज तांबा अज्ञात बंदूकधारियों ने घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी है। जानकारी के मुताबिक, अमीर सरफराज तांबा लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में रहता था, जहां मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उसके घर में घुसकर उसे मौत के घाट उतार दिया।
सरबजीत सिंह की हत्या करने वाले अमीर सरफराज को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी माना जाता था। सरफराज को ‘लाहौर के असली डॉन’ के नाम से जाना जाता था। सरफराज पाकिस्तान में कई संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त था और और सरकार और प्रशासन का संरक्षण प्राप्त था। FIR में सरफराज के भाई जुनैद ने पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार जिक्र किया है।
जुनैद ने बताया कि जिस समय अज्ञात बंदूकधारी घर में घुसे, तब वह अपने भाई सरफराज के साथ घर में मौजूद था। जुनैद ने बताया कि वो ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि अमीर सरफराज ऊपर वाले फ्लोर पर था। दोपहर में करीब 12.40 बजे पर 2 अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर सवार होकर उसके घर पहुंचे। इसमें से एक व्यक्ति ने हेलमेट पहना था और दूसरे व्यक्ति ने मास्क लगाया था। दोनों ने घर में घुसते ही अमीर सरफराज पर 3 गोलियां चलाई और फरार हो गए।
गौरतलब है कि भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया था। सरबजीत 30 अगस्त 1990 को गलती से पाक सीमा में चला गया था। तब पाक पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था और इस्लामाबाद में हुए बम धमाकों के मामले में गिरफ्तार किया था। पाक पुलिस का दावा था कि भारत के तरनतारन के गांव भिखीविंड निवासी सरबजीत सिंह भारतीय एजेंसियों का जासूस है। कई सालों तक पाक जेल में बंद रखने के बाद पाक खुफिया एजेंसी ISI के इशारों पर अमीर सरफराज ने साल 2013 में जेल में सरबजीत की हत्या कर दी थी।
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