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आतंकवाद को बढ़ावा देता है काला धन : मोदी

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नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने दुनिया के नेताओं को यह विश्वास दिलाया है कि काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है, क्योंकि यह आतंकवाद को बढ़ावा देता है और विश्व शांति को अस्थिर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के दौरे के समापन के अगले दिन शुक्रवार को कहा कि दुनिया भारत को नए आदर-सम्मान और काफी उत्साह के साथ देख रही है। मोदी ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि ऑस्ट्रेलिया में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने काले धन के मुद्दे को सबसे प्रमुखता से रखा। जी-20 देश काले धन की समस्या से लड़ने के लिए तैयार हैं।

मोदी ने कहा, “मुझे खुशी है कि विश्व समुदाय ने इस पर ध्यान दिया, क्योंकि यह मुद्दा किसी एक देश को प्रभावित नहीं करता।” उन्होंने कहा, “काला धन में विश्व शांति और सौहार्द्र बिगाड़ने की क्षमता है।” मोदी ने कहा, “काला धन आतंकवाद, मादक पदार्थो की तस्करी तथा मनी लॉड्रिंग का कारण है।” मोदी ने यह भी कहा कि भारतीय प्रवासियों को देश के विकास का हिस्सा होना चाहिए।

अपने 10 दिवसीय दौरे की ऐतिहासिक अद्वितीयता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने अपनी यात्रा पर विश्व के कुल 38 नेताओं से मुलाकात की और 20 द्विपक्षीय बैठकें की, जिस दौरान उन्होंने खुल कर विस्तृत और लाभप्रद चर्चा की।

उन्होंने कहा, “इन द्विपक्षीय बैठकों में मैंने एक बात गौर की कि विश्व भारत को नए आदर-सम्मान और भरपूर उत्साह से देख रहा है। मैंने देखा कि वैश्विक समुदाय भारत के साथ जुड़ने के लिए बेहद उत्साहित है।” मोदी की यात्रा का पहला पड़ाव म्यांमार था, जहां उन्होंने पूर्व एशिया और आसियान शिखर सम्मेलन में शिरकत की और उसके बाद म्यांमार के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में शिरकत की और फिर फिजी के लिए रवाना हुए।

मोदी ने कहा कि व्यापार और वाणिज्य को सुदृढ़ बनाना और भारत में उद्योगों का विस्तार उनकी यात्रा में चर्चा का मुख्य केंद्र था। उन्होंने कहा, “मैंने कई नेताओं से मुलाकात की और वे सभी हमारे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को लेकर काफी सकारात्मक थे और भारत आने और यहां मौजूद विभिन्न अवसरों का हिस्सा बनने को लेकर वे बेहद उत्सुक थे।”

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने इसे सकारात्मक संकेत के रूप में देखता हूं।” मोदी ने कहा कि वह और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष ने ऊर्जा, संस्कृति तथा सुरक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित प्रगति की है और नाभिकीय ऊर्जा के मुद्दे पर बेहद सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन में काले धन की मौजूदगी और स्वदेश वापसी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।

मोदी ने कहा, “मुझे खुशी है कि विश्व समुदाय ने इस पर ध्यान दिया, क्योंकि यह मुद्दा किसी एक देश को प्रभावित नहीं करता। काला धन विश्व की शांति और सौहार्द्र को अस्थिर कर सकता है। काला धन आतंकवाद, धन की हेराफेरी और मादक पदार्थो की तस्करी को प्रोत्साहित करता है।” मोदी ने कहा, “मैंने मलेशिया के प्रधानमंत्री (नजीब तुन) रजाक से सस्ते मकान, ब्रुनेई के सुल्तान (हसनलाल बोल्किया) से ऊर्जा मुद्दे तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री से शहरी विकास के मुद्दों पर बातचीत की।” मोदी ने कहा, “प्रवासियों को हमारे विकास यात्रा का अभिन्न अंग बनाना हमारा उद्देश्य है और पिछले कुछ महीनों में हमने इसमें प्रगति की है।”

नेशनल

पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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