प्रादेशिक
हिमाचल विश्वविद्यालय में नेत्रहीनों के लिए नियमों में छूट
शिमला|शिमला ने नेत्रहीनों और विकलांगों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें परीक्षाओं में अपनी योग्यता के निचले स्तर के व्यक्ति को लेखक रखने की अनुमति दी है। विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, कुलपति ए.डी.एन. बाजपेई ने विकलांग छात्रों के लिए सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के आधार पर परीक्षा नीति को स्वीकृति दे दी है।
नियमों के अनुसार, परीक्षा में विकलांग परीक्षार्थी का लेखक उससे निचली कक्षा का होना चाहिए।
अब यह निरीक्षक की जिम्मेदारी होगी कि वह यह जांच करे कि लेखक उत्तर लिखने में अनुचित तरीके न अपनााए।
इसके अलावा, विश्वविविद्यालय, लेखक लाने के लिए विकलांग परीक्षकों से कोई शुल्क नहीं लेगा और परीक्षा के दौरान उन्हें एक घंटा अधिक देगा।
पुरानी नियमों को बदलने की सिफारिश करने वाली समिति के सदस्य सचिव अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कॉलेज के प्राचार्य अब लेखक लाने की अनुमति देने के लिए अधिकृत हैं।
पहले केवल विश्वविद्यालय का परीक्षा नियंत्रक ही इसकी अनुमति दे सकता था। आपातकाल में परीक्षार्थी अपना लेखक बदल भी सकता है।
विश्वविद्यालय नेत्रहीन परीक्षार्थियों के लिए वैकल्पिक प्रश्न उपलब्ध कराएगा।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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