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नेहरूवादी सामंजस्य के सामने चुनौती : सोनिया

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नई दिल्ली| कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को कहा कि नेहरूवादी सामंजस्य के सामने आज चुनौती खड़ी है, जबकि देश इसी मजबूत बुनियाद पर खड़ा है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा कि सिर्फ लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के सिद्धांतों का पालन करने की ही आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें मजबूत करने की कठिन लड़ाई भी लड़ने की जरूरत है।

गांधी ने कहा, “आज के भारत में नेहरूवादी सामंजस्य के सामने चुनौती खड़ी है। यह वह दृढ़ बुनियाद है, जिसपर देख खड़ा हुआ था।” सोनिया ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय रुचि पैदा की है और सामान्य सत्र में स्वीकृत घोषणा पत्र नेहरू के मूल्यों के प्रति वचनबद्धता जाहिर करता है। इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नेहरू के स्वतंत्रता सेनानी, एक महान संवेदना और मजबूत प्रतिबद्धताओं के नेता थे।

उन्होंने कहा कि नेहरू ने समाजवाद को सिर्फ आर्थिक सिद्धांतों के रूप में नहीं देखा, बल्कि एक जीवन के तरीके रूप में देखा, जो व्यक्ति की आदतों और प्रवृत्ति में एक प्रभावी बदलाव लाता है। सिंह ने कहा, “भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने सामाजिक न्याय के साथ विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजान की गई एक व्यावहारिक कार्ययोजना तैयार की। मिश्रित अर्थव्यवस्था, जनता का सहअस्तित्व और निजी क्षेत्र नेहरू की विचार प्रक्रियाओं के एक महत्वपूर्ण अवयव थे। नेहरू के लिए समाजवाद मुख्यरूप से समता और समानता के लिए एक जुनून था।”

मनमोहन ने कहा कि नेहरू ने अपनी प्रतिभा के जरिए समाजवाद को वैश्विक संदर्भ में भारत के लिए प्रासंगिक बनाया। मनमोहन सिंह ने कहा कि नेहरू का वैश्विक दृष्टिकोण दुनिया के हर कोने में आज भी प्रासंगिक है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “जहां संघर्ष और हिंसा मनुष्य के अंदर पैठ बनाती, वहा नेहरू शांति और सद्भाव की बात करते, और उन्होंने एक लोकतांत्रिक व बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रयास किया, जहां एकतरफा के बदले सामंजस्य निर्माण निर्दिष्ट सिद्धांत हो।”

मनमोहन ने कहा कि नेहरू ने भारतीयों को सिखाया कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बगैर किसी भय या पक्षपात के स्वतंत्र होकर निर्णय लें। उन्होंने कहा, “उन्होंने हमें एक व्यवहार्य सामंजस्य निर्माण का मूल्य भी सिखाया। यह अन्य दृष्टिकोण के लिए सहिष्णुता हासिल करने की क्षमता है।” सिंह ने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) के सिद्धांत उभरते और विकासशील देशों को अंतर निर्भर वैश्विक अर्थव्यवस्था व राजनीति के समान प्रबंधन के लिए सहयोग में मददगार हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, “वास्तव में नाम के प्रमुख सिद्धांत अभी भी प्रासंगिक हैं और 21वीं सदी में विश्व राजनीति में एक अधिक सक्रिया भूमिका निभाने में भारत की मदद कर सकते हैं।” मनमोहन ने कहा, “नेहरू के लिहाज से भारत का विचार अनेकता में एकता का विचार है।” उन्होंने कहा, “बहुलतावाद का विचार, यानी जहां सभ्यताओं का संघर्ष न हो, सभ्यताओं के एक संगम की दिशा में काम करने की संभावना की जड़ में निहित है। इस विचार की सार्वभौमिक प्रासंगिता है। संघर्ष और नफरत से घिरी दुनिया में ये विचार सूर्य की एक किरण की तरह है, जो हममें आशा का संचार करते हैं और आम मानवता में हमारे विश्वास को तरोताजा करते हैं।”

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प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में किया रोड शो, कहा- मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं

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सहारनपुर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के तहत सहारनपुर में रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि इस देश ने सत्ता को नहीं सत्य को पूजा है और मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं। रोड शो के दौरान प्रियंका गांधी ने रामनवमी पर कहा कि भगवान राम ने भी सत्य की लड़ाई लड़ी थी। जब उनके सामने रावण युद्ध करने के लिए आया तो सारी शक्ति रावण के पास थी, लेकिन भगवान राम ने नौ व्रत रखकर सारी शक्ति अपने पास ले ली थी। इसके बाद रावण से युद्ध किया और सत्य की जीत हुई।

यह रोड शो कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार इमरान मसूद के समर्थन में आयोजित किया गया था। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं हर जगह यही कह रही हूं कि ये चुनाव जनता का होना चाहिए, जनता के मुद्दों पर होना चाहिए। मोदी जी और बीजेपी के नेता बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं की बात नहीं कर रहे हैं। जो असली समस्याएं महिलाओं-किसानों की है, उनके बारे में बात ही नहीं हो रही है। बात इधर उधर की ध्यान भटकाने की हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि जो सत्ता में बैठे हैं, वह माता शक्ति और सत्य के उपासक नहीं हैं, ‘सत्ता’ के उपासक हैं। वो सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिर जाएंगे। सत्ता के लिए सरकारें गिरा देंगे, विधायकों को खरीदेंगे, अमीरों को देश की संपत्ति दे देंगे। यह हमारे देश की परंपरा नहीं है। भगवान श्रीराम ‘सत्ता’ के लिए नहीं, ‘सत्य’ के लिए लड़े। इसलिए हम उनकी पूजा करते हैं। आज रामनवमी का शुभ दिन है, इसलिए मैं बहुत खुश हूं। वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि जब भगवान राम युद्ध भूमि में उतरे तो देखा कि माता की शक्तियां रावण के पास थीं। जिसके बाद उन्होंने नौ दिनों तक माता की आराधना की और 108 नील कमल मां के चरणों में अर्पण किए।

उन्होंने कहा कि जिसके बाद माता ने उनकी परीक्षा लेने को सोची और 108वां कमल छिपा दिया। लेकिन, भगवान राम के पास श्रद्धा की शक्ति थी, उन्हें याद आया कि उनकी मां उन्हें बचपन में ‘राजीव लोचन’ कहती थीं। यह बात याद आते ही भगवान राम अपने नयन निकालने ही जा रहे थे, तभी माता ने उन्हें रोकते हुए कहा कि मैं तुम्हारी श्रद्धा से प्रसन्न हुई। मेरी शक्ति तुम्हारे साथ है। हम भगवान राम को इसलिए पूजते हैं, क्योंकि उन्होंने सच्ची श्रद्धा के साथ यह लड़ाई लड़ी और जनता को सर्वोपरि रखा। जनता पर अन्याय करने वाली भाजपा की विदाई तय है।

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