Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

जयललिता मामले में अभियोजक की नियुक्ति गलत : सुप्रीम कोर्ट

Published

on

Loading

नई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में चल रहे आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु द्वारा विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) की नियुक्ति को कानूनी रूप से गलत ठहराया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की पीठ ने भवानी सिंह की नियुक्ति को दोषपूर्ण करार दिया और साथ ही यह भी कहा कि आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता की याचिका पर आगे सुनवाई की जरूरत नहीं है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार के पास भवानी सिंह को एसपीपी के तौर पर नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि न्यायालय में मामला कर्नाटक सरकार चला रही है, लिहाजा एसपीपी की नियुक्ति का अधिकार कर्नाटक सरकार के ही पास है।

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता के. अंबाझगन ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से की गई नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।

जयललिता एवं तीन अन्य आरोपियों को 27 सिंतबर, 2014 को बेंगलुरू की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया था। जयललिता ने अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी।

बेंगलुरू की अदालत ने जयललिता को चार साल कारावास की सजा सुनाई थी और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

जयललिता के अतिरिक्त उनकी सहयोगी एन. शशिकला, वी. एन. सुधारकरण और जे. इलावारसी को भी सजा सुनाई गई थी। इन तीनों ने भी उच्च न्यायालय में अपील की थी।

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने 17 अप्रैल को खंडित फैसला सुनाया था, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले पर सुनवाई की।

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा था कि भवानी सिंह की नियुक्ति से कर्नाटक उच्च न्यायालय की सुनवाई को प्रभावित किया है, जबकि न्यायमूर्ति भानुमति को भवानी सिंह की नियुक्ति में कानूनी गड़बड़ी नजर नहीं आई थी।

नेशनल

प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में किया रोड शो, कहा- मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं

Published

on

Loading

सहारनपुर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के तहत सहारनपुर में रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि इस देश ने सत्ता को नहीं सत्य को पूजा है और मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं। रोड शो के दौरान प्रियंका गांधी ने रामनवमी पर कहा कि भगवान राम ने भी सत्य की लड़ाई लड़ी थी। जब उनके सामने रावण युद्ध करने के लिए आया तो सारी शक्ति रावण के पास थी, लेकिन भगवान राम ने नौ व्रत रखकर सारी शक्ति अपने पास ले ली थी। इसके बाद रावण से युद्ध किया और सत्य की जीत हुई।

यह रोड शो कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार इमरान मसूद के समर्थन में आयोजित किया गया था। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं हर जगह यही कह रही हूं कि ये चुनाव जनता का होना चाहिए, जनता के मुद्दों पर होना चाहिए। मोदी जी और बीजेपी के नेता बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं की बात नहीं कर रहे हैं। जो असली समस्याएं महिलाओं-किसानों की है, उनके बारे में बात ही नहीं हो रही है। बात इधर उधर की ध्यान भटकाने की हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि जो सत्ता में बैठे हैं, वह माता शक्ति और सत्य के उपासक नहीं हैं, ‘सत्ता’ के उपासक हैं। वो सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिर जाएंगे। सत्ता के लिए सरकारें गिरा देंगे, विधायकों को खरीदेंगे, अमीरों को देश की संपत्ति दे देंगे। यह हमारे देश की परंपरा नहीं है। भगवान श्रीराम ‘सत्ता’ के लिए नहीं, ‘सत्य’ के लिए लड़े। इसलिए हम उनकी पूजा करते हैं। आज रामनवमी का शुभ दिन है, इसलिए मैं बहुत खुश हूं। वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि जब भगवान राम युद्ध भूमि में उतरे तो देखा कि माता की शक्तियां रावण के पास थीं। जिसके बाद उन्होंने नौ दिनों तक माता की आराधना की और 108 नील कमल मां के चरणों में अर्पण किए।

उन्होंने कहा कि जिसके बाद माता ने उनकी परीक्षा लेने को सोची और 108वां कमल छिपा दिया। लेकिन, भगवान राम के पास श्रद्धा की शक्ति थी, उन्हें याद आया कि उनकी मां उन्हें बचपन में ‘राजीव लोचन’ कहती थीं। यह बात याद आते ही भगवान राम अपने नयन निकालने ही जा रहे थे, तभी माता ने उन्हें रोकते हुए कहा कि मैं तुम्हारी श्रद्धा से प्रसन्न हुई। मेरी शक्ति तुम्हारे साथ है। हम भगवान राम को इसलिए पूजते हैं, क्योंकि उन्होंने सच्ची श्रद्धा के साथ यह लड़ाई लड़ी और जनता को सर्वोपरि रखा। जनता पर अन्याय करने वाली भाजपा की विदाई तय है।

Continue Reading

Trending