प्रादेशिक
चोटिल क्रिकेटर राहुल की मदद के लिए आगे आई राज्य सरकार
कोलकाता | पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बुधवार को मैच के दौरान चोटिल हुए राज्य के क्रिकेट खिलाड़ी राहुल घोष को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। राहुल की हालत स्थिर है लेकिन वह अभी भी खतरे से बाहर नहीं हैं।
बंगाल के पूर्व अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान अंकित केसरी की सोमवार को हुई मौत के एक दिन बाद ही मंगलवार को राहुल भी मैच के दौरान चोटिल हो गए, जिसके बाद उन्हें मध्य कोलकाता स्थित नाइटेंगल अस्पताल में भर्ती कराया गया। राहुल को अपनी टीम कोलकाता पुलिस और विजय स्पोर्ट्स के बीच खेले जा रहे सेकेंड डिवीजन लीग मैच में क्षेत्ररक्षण के दौरान गेंद से चोट लगी। चिकित्सकों के अनुसार राहुल के सिर के बाएं हिस्से में चोट लगी है। राज्य के युवा मामलों के मंत्री अरूप विश्वास ने राहुल से मिलने के बाद मदद का आश्वासन दिया। विश्वास ने कहा, “मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) राहुल की चोट को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार इलाज के लिए राहुल के परिवार को हरसंभव मदद देगी। हमने अस्पताल को भी इस बारे में निर्देश दे दिए हैं कि वह सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए और खर्च की चिंता न करें।”
इससे पूर्व राहुल के पिता ने बताया था कि उनके बेटे की हालत स्थिर है लेकिन वह अब भी खतरे से बाहर नहीं है। राहुल के पिता अमिताभ घोष ने कहा, “चिकित्सकों ने बताया है कि राहुल की हालत स्थिर है लेकिन उसे अब भी खतरे से बाहर नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा है कि वह आज (बुधवार) कुछ और जांच करेंगे ताकि यह निश्चित किया जा सके कि राहुल को ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं।” गौरतलब है कि कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय स्टेडियम में ईस्ट बंगाल और भवानीपुर के बीच खेले जा रहे बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के नॉकआउट मैच के दौरान शुक्रवार को चोट लगने के बाद इसी अस्पताल में सोमवार को अंकित की मौत हो गई थी। अंकित क्षेत्ररक्षण के दौरान एक कैच लेने के प्रयास में अपने साथी खिलाड़ी सौरभ मंडल से टकरा गए थे। अंकित के परिवार ने चिकित्सा में लापरवाही का भी आरोप लगाया है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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