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आईपीएल : रॉयल चैलेंजर्स के सामने जीत की ओर लौटने की चुनौती

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बेंगलुरू | घरेलू मैदान पर लगातार दो हार झेल चुकी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम बुधवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ खेलगी। ऐसे में रॉयल चैलेंजर्स के कप्तान विराट कोहली सहित पूरी टीम के सामने पिछले दो हार के बाद जीत की ओर लौटने की चुनौती होगी। महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व वाले चेन्नई सुपरकिंग्स को भी पिछले मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। सुपरकिंग्स हालांकि इस संस्करण में चार मैचों में तीन में जीत हासिल करने में कामयाब रहा है और रॉयल चैलेंजर्स के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति में है।

रॉयल चैलेंजर्स को तीन मैचों में केवल एक जीत हासिल हुई है और वह अंकतालिका में सबसे नीचे आठवें पायदान पर है। रॉयल चैलेंजर्स ने इस संस्करण में मौजूदा चैम्पियन कोलकाता नाइटराइडर्स को उसी के घर में हराकर धमाकेदार शुरुआत की थी लेकिन उसके बाद उसे सनाराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस से हार का सामना करना पड़ा। बहरहाल, चेन्नई सुपरकिंग्स और रॉयल चैलेंजर्स के बीच आईपीएल में हुए मुकाबलों की बात करें तो धौनी की टीम का पलड़ा ज्यादा भारी नजर आता है। दोनों के बीच हुए 17 मुकाबलों में सुपरकिंग्स ने नौ बार जीत हासिल की है। रॉयल चैलेंजर्स के लिए सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि वह बहुत हद तक अपने स्टार बल्लेबाज क्रिस गेल और अब्राहम डिविलियर्स पर निर्भर है।

इसके अलावा कप्तान विराट कोहली चल नहीं रहे और इस सत्र में फ्रेंचाइजी द्वारा खरीदे गए सबसे महंगे खिलाड़ी खिलाड़ी दिनेश कार्तिक भी अब तक अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने तीन मैचों में अब तक केवल 33 रन बनाए हैं। रॉयल चैलेंजर्स ने उन्हें 10.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। गेंदबाजी भी टीम की बड़ी समस्या है। आस्ट्रेलिया के स्टार गेंदबाज मिशेल स्टार्क के घुटने में चोट है और बुधवार के मैच में उनका खेलना अभी तय नहीं है। इसके उलट चेन्नई सुपरकिंग्स ज्यादा बेहतर स्थिति में नजर आ रही है। हर विभाग में टीम के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। रॉयल चैलेंजर्स को अगर यहां जीत हासिल करनी है तो उसके बड़े खिलाड़ियों का प्रदर्शन अहम होगा। निश्चित तौर पर गेल, कोहली, डिविलियर्स तथा कार्तिक के कंधो पर बड़ी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी होगी।

टीम (संभावित) :

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर : विराट कोहली (कप्तान), अब्राहम डिविलियर्स, क्रिस गेल, मशेल स्टार्क, निक मैडिंसन, रिली रोसू, डारेन सैमी, डेविड विस, सिन एबॉट, एडम मिल्ने, वरुण एरॉन, अशोक डिंडा, हर्षल पटेल, विजय जोल, अबु नेसिम, संदीप वारिर, योगेश तकावले, यजुवेंद्र चहल, इकबाल अब्दुल्लाह, मनविंदर बिस्ला, मंदीप सिंह, दिनेश कार्तिक, सब्रमण्यम बद्रीनाथ, सरफराज खान. जलज सक्सेना, शिशिर भवाने।

चेन्नई सुपर किंग्स : महेंद्र सिंह धौनी (कप्तान), ड्वायन स्मिथ, ब्रेंडन मैक्लम, फॉफ दू प्लेसिस, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, ड्वेन ब्रावो, रविचंद्रन अश्विन, मोहित शर्मा, ईश्वर पांडेय, आशीष नेहरा, बाबा अपराजित, मिथुन मन्हास, पवन नेगी, रोनित मोरे, राहुल शर्मा, अंकुश बैंस, इरफान पठान, प्रत्युष सिंह, एकलव्य द्विवेदी, माइकल हसी, सैमुअल बद्री, मैट हेनरी, काइल एबॉट, एंड्र टाई।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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