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आईपीएल-8 : रॉयल्स, सुपरकिंग्स के बीच शीर्ष पर पहुंचने की होड़

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अहमदाबाद | इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आठवें संस्करण में रविवार को दो बार की चैम्पियन चेन्नई सुपर किंग्स और बेहद लय में नजर आ रही राजस्थान रॉयल्स के बीच टूर्नामेंट का 19वां मैच खेला जाना है। रॉयल्स अब तक आईपीएल-8 में अपने चारों मैच जीतकर अंकतालिका में शीर्ष पर हैं, जबकि लगातार तीन मैच जीत चुके सुपर किंग्स यह मैच जीतकर शीर्ष से उन्हें अपदस्थ करना चाहेंगे।

अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में होने वाला यह मैच रॉयल्स के लिए घरेलू मैच होगा। सुपर किंग्स ने शुक्रवार को वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई इंडियंस को जिस अंदाज में हराया वह रॉयल्स के गेंदबाजों के लिए चेतावनी देने वाला है। मुंबई से मिले 184 रनों के बड़े लक्ष्य को सुपर किंग्स ने 20 गेंद शेष रहते आसानी से हासिल कर लिया। दूसरी ओर सनराइजर्स के खिलाफ रॉयल्स अपने आखिरी मैच में 127 रनों के बेहद सामान्य लक्ष्य को आखिरी गेंद पर हासिल कर सके।

ड्वायन स्मिथ और ब्रेंडन मैक्लम की सुपर किंग्स की सलामी जोड़ी ने पिछले मैच में इस संस्करण में पॉवरप्ले का सबसे तेज स्कोर बनाया। दोनों ही बल्लेबाज बेहद शानदार लय में चल रहे हैं और मैक्लम आईपीएल-8 में शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। आक्रामक अंदाज में खेल रही सलामी जोड़ी के अलावा महेंद्र सिंह धौनी की टीम का मध्यक्रम भी अच्छा खासा मजबूत नजर आ रहा है। आईपीएल में सर्वाधिक रन बनाने वाले सुरेश रैना भी अच्छे फॉर्म में हैं। गेंदबाजी में हालांकि धौनी की टीम खास प्रभावित नहीं कर सकी है। मोहित शर्मा और ईश्वर पांडेय साधारण रहे हैं, जबकि अनुभवी आशीष नेहरा ही कुछ सफल नजर आए हैं।

स्टीव स्मिथ के नेतृत्व में रॉयल्स अब तक अपेक्षा से बेहतर करते हुए सारे मैच जीतते आए हैं और इस मैच में उनके स्थायी कप्तान शेन वाटसन की वापसी की भी उम्मीदें हैं। वाटसन की वापसी निश्चित तौर पर टीम को मजबूती प्रदान करेगी और एक आक्रामक बल्लेबाज की कमी की भरपाई करेगी। अजिंक्य रहाणे ने जिस निरंतरता का परिचय दिया है उसने रॉयल्स के मध्यक्रम को निश्चित तौर पर अधिक विकल्प प्रदान किए हैं। युवा संजू सैमसन और दीपक हुडा भी बेहतर नजर आ रहे हैं। गेंदबाजी में रॉयल्स, सुपरकिंग्स की अपेक्षा थोड़े बेहतर नजर आ रहे हैं। टिम साउदी और जेम्स फॉल्कनर के अलावा स्पिन गेंदबाज प्रवीण तांबे और धवल कुलकर्णी ने भी अब तक अच्छी गेंदबाजी की है।

टीमें : 

राजस्थान रॉयल्स : शेन वाटसन (कप्तान), स्टीव स्मिथ, अजिंक्य रहाणे, संजू सैमसन (विकेटकीपर), करुण नायर, स्टुअर्ट बिन्नी, जेम्स फॉल्कनर, दीपक हुडा, क्रिस मोरिस, टिम साउदी, धवल कुलकर्णी, प्रवीण तांबे, अभिषेक नायर, अंकित नागेंद्र शर्मा, दिशांत याग्निक, राहुल तेवतिया, रजत भाटिया, बारिंदर सिंह सरन, दिनेश सालुंखे, सागर त्रिवेदी, प्रदीप साहू, विक्रमजीत मलिक, बेन कटिंग, रस्टी थेरॉन।

चेन्नई सुपर किंग्स : महेंद्र सिंह धौनी (कप्तान), ड्वायन स्मिथ, ब्रेंडन मैक्लम, फॉफ दू प्लेसिस, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, ड्वेन ब्रावो, रविचंद्रन अश्विन, मोहित शर्मा, ईश्वर पांडेय, आशीष नेहरा, बाबा अपराजित, मिथुन मन्हास, पवन नेगी, रोनित मोरे, राहुल शर्मा, अंकुश बैंस, इरफान पठान, प्रत्युष सिंह, एकलव्य द्विवेदी, माइकल हसी, सैमुअल बद्री, मैट हेनरी, काइल एबॉट, एंड्र टाई।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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