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आईपीएल : डेयरडेविल्स ने टॉस जीता, बल्लेबाजी का फैसला

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विशाखापट्टनम | दिल्ली डेयरडेविल्स टीम ने शनिवार को वाईएस राजशेखर रेड्डी एसीए वीडीए क्रिकेट स्टेडियम में सनराइजर्स हैदराबाद के साथ जारी इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें लीग मैच में टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने का फैसला किया है। दिल्ली की टीम ने खराब शुरुआत से उबरते हुए दो हार के बाद पिछले मैच में जीत हासिल की थी। दूसरी ओर इसी मैदान पर राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ अपना पिछला मैच आखिरी गेंद पर हारने वाले सनराइजर्स के गेंदबाजों के लिए इस मैच की मुख्य चुनौती युवराज सिंह और डेविड वार्नर होंगे।

मयंक अग्रवाल ने भी हालांकि पिछले मैच में जैसा प्रदर्शन किया, उसके बाद इस मैच में भी डेयरडेविल्स टीम को उनसे उम्मीद बढ़ गई हैं। डेयरडेविल्स पिछले दो संस्करणों से खराब दौर से गुजर रहा है और पिछले संस्करण में वह लगातार नौ हार के साथ टूर्नामेंट से बाहर हुआ था। भारी फेरबदल के बावजूद टीम को इस संस्करण में भी शुरुआती दोनों मैच रोमांचक मुकाबले में आखिरी गेंद पर गंवाने पड़े। हालांकि डेयरडेविल्स के सामने डेविड वार्नर, शिखर धवन और इयान मोर्गन की जबरदस्त बल्लेबाजी का सामना करना होगा।

दोनों ही टीमें तीन-तीन मैचों से दो-दो अंक हासिल कर सकी हैं और दोनों ही टीमें बल्लेबाजी से जूझती नजर आई हैं। ऐसे में बेहतर गेंदबाजी करने वाली टीम को लाभ मिल सकता है। वैसे गेंदबाजी आक्रमण के तौर पर सनराइजर्स हमेशा की तरह इस बार भी शानदार नजर आ रही है, लेकिन डेयरडेविल्स की ओर से भी अमित मिश्रा और इमरान ताहिर अच्छी लय में नजर आए हैं। ताहिर तीन मैचों में आठ विकेट चटका चुके हैं और आईपीएल-8 में विकेट लेने के मामले में सबसे ऊपर चल रहे हैं।

टीमें :

दिल्ली डेयरडेविल्स : ज्यां पॉल ड्यूमिनी (कप्तान), मयंक अग्रवाल, श्रेयष अय्यर, युवराज सिंह, एंजेलो मैथ्यूज, मनोज तिवारी, केदार जाधव, नेथन नील कोल्टर, आशीष नेहरा, इमरान ताहिर और डीजे मुत्थुस्वामी।

सनराइजर्स हैदराबाद : डेविड वार्नर (कप्तान), शिखर धवन, केएल राहुल, नमन ओझा, इयोन मोर्गन, रवि बोपारा, आशीष रेड्डी, कर्ण शर्मा, प्रवीन कुमार, भुवनेश्वर कुमार और डेल स्टेन।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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