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प्रादेशिक

सीएम योगी ने लाल कृष्ण आडवाणी को दी जन्मदिन की बधाई

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लखनऊ। भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी आज 93 साल के हो गए हैं। इस मौके पर बीजेपी सहित तमाम दलों के नेता उन्हें बधाइयां दे रहे हैं। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज उन्हें घर जाकर जन्मदिन की बधाई दी।

वहीँ सीएम योगी ने ट्वीट कर लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी है। सीएम योगी ने लिखा- लोकप्रिय राजनेता, कुशल प्रशासक, राष्ट्रवादी चिंतक, भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, हम सभी के मार्गदर्शक आदरणीय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

उन्होंने लिखा कि भारतीय लोकतंत्र को सशक्त और समृद्ध बनाने में आपका अविस्मरणीय योगदान सभी जनप्रतिनिधियों के लिए एक महान प्रेरणा है। मैं प्रभु श्री राम से आपके स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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