नेशनल
दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर, शनिवार को हुई रिकार्ड मौतें
नई दिल्ली। जहां देशभर में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं वहीं देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। दिल्ली सरकार का कहना है कि यह कोरोना की तीसरी लहर और उसका पीक आ चुका है। वहीं सरकार यह भी मान रही है कि अब दिल्ली में कोरोना के मामले और नहीं बढ़ने चाहिए। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। हालांकि हम जल्द ही इससे बाहर आ जाएंगे।
जैन ने कहा, ‘दिल्ली में कोविड-19 का तीसरा दौर चरम पर है। मामलों की संख्या से प्रतीत होता है कि यह अब तक का सबसे बुरा दौर है लेकिन जल्द ही मामलों में कमी आनी शुरू हो जाएगी। मंत्री ने कहा कि मामलों में वृद्धि की वजह तेजी से जांच किया जाना और संक्रमितों का पता लगाना है। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही मामलों में तेज वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। जैन ने कहा, ‘कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे मास्क नहीं पहनेंगे तो भी उन्हें कुछ नहीं होगा। वे गलत सोच रहे हैं। जब तक कोविड-19 रोधी टीका तैयार नहीं हो जाता, तब तक मास्क ही एकमात्र दवा है।
बता दें कि दिल्ली में शनिवार कोरोना वायरस से मौतों का सबसे बड़ा आंकड़ा सामने आया है। राजधानी में शनिवार को कोरोना वायरस से 79 लोगों की मौत हुई। पिछले दस दिनों में मृत्यु दर 0.85 प्रतिशत दर्ज किया गया है। जबकि कुल मृत्यु दर 1.61 प्रतिशत है। दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस कुल 6912 मरीजों की मौत हुई है।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
-
लाइफ स्टाइल1 day ago
तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय
-
नेशनल2 days ago
मेरी बात याद रखना, चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी आरक्षण खत्म कर देंगे: असदुद्दीन ओवैसी
-
नेशनल2 days ago
राहुल गांधी की बिगड़ी तबियत, मध्य प्रदेश दौरा किया रद्द
-
नेशनल2 days ago
अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए तो इस बार बीजेपी केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस नहीं आने वाली: मायावती
-
नेशनल2 days ago
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का दावा- पहले चरण की वोटिंग के बाद बीजेपी दक्षिण में साफ, उत्तर में हाफ
-
नेशनल1 day ago
सपा ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को बनाया उम्मीदवार, अखिलेश नहीं लड़ेंगे चुनाव
-
नेशनल1 day ago
हैदराबाद से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता के खिलाफ FIR दर्ज, मस्जिद की तरफ काल्पनिक तीर छोड़ने का आरोप
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
मालदीव में संसदीय चुनाव की वोटिंग शुरू, क्या भारत विरोध के कारण जाएगी मुइज्जू की कुर्सी