आध्यात्म
22 अक्टूबर 2020 : इन राशिवालों को हो सकता है धनलाभ
मिथुन: मिथुन राशि के जातकों का कामकाज से संबंधित छोटी यात्रा का प्रोग्राम बन सकता है। कला साहित्य से जुड़े हुए लोगों के लिए शानदार दिन है। आज आप संचार सुविधाओं का लाभ लेते हुए अपनी बात के द्वारा दूसरों को प्रभावित करने में कामयाब रहेंगे। वित्तीय मामलों के दिन सामान्य हैं। खर्चों की अधिकता रहेगी।
इस नवरात्र करें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सारे कष्ट
कर्क: कर्क राशि के जातक पारिवारिक संस्कारों का उपयोग करते हुए पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। मित्रों के सहयोग से सभी काम आगे बढ़ेंगे। वित्तीय मामलों में दिन अच्छा है। कामकाज के अलावा पुराना निवेश भी लाभ देने वाला होगा। खर्च नियंत्रित रहेंगे।
सिंह: सिंह राशि के जातकों को क्षणिक आवेश में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से बचना चाहिए। तार्किक क्षमता का उपयोग करें तभी कोई निर्णय लें। कामकाज के लिहाज से बहुत अच्छा दिन है। अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने में कामयाब रहेंगे। वित्तीय मामलों में अच्छा दिन है। धन प्राप्ति के आपके प्रयास सफल रहेंगे।’
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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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