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नेशनल

असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान, ‘अयोध्या में पीएम मोदी ने हिंदू राष्ट्र की बुनियाद रखी’

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नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा कि नरेंद्र मोदी को भूमि पूजन में नहीं जाना चाहिए था। वो किसी खास मजहब के पीएम नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि पीएम ने संविधान के शपथ का उल्लंघन किया है। हिंदुत्व की कामयाबी सेकुलरिज्म की हार है। ये हिंदू राष्ट्र की बुनियाद रखी गई है। ओवैसी ने कहा कि जहां मुसलमानों ने नमाज पढ़ी, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोलकर मस्जिद को शहीद किया गया।

ओवैसी ने कहा कि पीएम ने भूमि पूजन को सिंबल ऑफ इंडिया कहा है। देश का सिंबल कोई भी धार्मिक जगह (ना मंदिर, ना मस्जिद) नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि भूमि पूजन कार्यक्रम में RSS चीफ क्यों मौजूद थे? मोहन भागवत का पैगाम मुसलमानों को सेकेंड क्लास सिटिजन बनाने का है।

एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं भावुक हूं। मैं कहना चाहता हूं कि मैं भी उतना ही भावुक हूं, क्योंकि मैं नागरिकता के सह-अस्तित्व और समानता में विश्वास करता हूं। मंदिर की नींव उस स्थान पर रखी गई, जहां 450 सालों तक मस्जिद खड़ी थी और इसे आपकी पार्टी और आपके वैचारिक संगठनों जैसे आरएसएस, विहिप, बजरंग दल और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था।

औवेसी ने मोदी द्वारा पांच अगस्त को 15 अगस्त जैसा बताने को स्वतंत्रता सेनानियों की तौहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि एक मंदिर के आंदोलन को देश की स्वतंत्रता के समान कैसे कहा जा सकता है। ओवैसी ने इस दौरान कांग्रेस और अन्य तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह दल भाईचारे की बात करते हैं जबकि बिना न्याय के भाईचारा कैसे हो सकता है।

उन्होंने मुसलमानों को सलाह दी कि वे हिम्मत न हारें और उन्हें याद दिलाया कि लाखों हिंदू भाई ऐसे हैं, जो हिंदुत्व की विचारधारा को नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, हम सभी को एक साथ काम करना होगा और लोकतांत्रिक तरीके से देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने के प्रयासों को रोकना होगा। एक मस्जिद को हमेशा एक मस्जिद बताते हुए सांसद ने कहा कि बाबरी मस्जिद की लड़ाई सिर्फ मुसलमानों के लिए लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह भारत को बचाने के लिए एक संघर्ष था।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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