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प्रादेशिक

दबिश से ठीक पहले लाइनमैन ने पुलिस वाले के कहने पर काट दी थी बिकरू गांव की बिजली

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कानपुर। कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों का हत्यारा हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अभी भी फरार है। तलाश के लिए साठ टीमों में 1500 पुलिस कर्मी लगाए गए हैं। क्राइम ब्रांच की 12 टीमें और एसटीएफ की टीमें दबिश दे रही हैं। हर जिले में सर्विलांस सेल लगी है। बिकरू के आसपास दो दर्जन गांवों में पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया। शहर में उसके एक दर्जन ठिकानों पर दबिश दी गई लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया है।

इस बीच इस मामले से जुड़ी से एक बात सामने निकलकर आई है जिससे पता चलता है कि किस तरह साजिश करके गांव में पुलिस कर्मियों को मारा गया। दरअसल पुलिस की टीम रात में बिकरू गांव पहुँचती इसके पहले ही लाइनमैन ने वहां की बिजली काट दी थी। ऐसा उसने चौबेपुर थाने के एक पुलिसकर्मी के कहने पर किया था।

पुलिस सूत्रों की मानें तो लाइनमैन ने स्वीकार किया है कि उसने बिजली काटी थी। इसके लिए उसे किसी ने फोन किया था। ये फोन नंबर भी किसी पुलिसकर्मी का निकला है। अब पुलिस उसकी भी जांच कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वारदात की रात को नजदीकी बिजली सब स्टेशन पर एक फोन आया। कॉलर ने खुद को चौबेपुर थाने से बताते हुए बिकरू गांव वाले फीडर की बिजली सप्लाई बंद करने को कहा। इसके बाद लाइनमैन ने बिजली काट दी. फिर बिकरू गांव में अपराधियों ने खूनी खेला खेला।

लाइनमैन को जिस नंबर से कॉल आया था, उसका भी पता चल गया है। अब पुलिस उस कॉल की जांच कर रही है। छापे के दौरान पुलिस अधिकारी अपनी तरफ से बिजली काटने से इनकार कर रहे हैं। तो अब सवाल उठ रहा है कि क्या बिजली लाइनमैन से प्लान करके कटवाई गई? आखिर इस साजिश के पीछे कौन है?

#bikruvillage #kanpur #uppolice #vikasdubey

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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