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प्रादेशिक

62 एनकाउंटर करने वाले डीएसपी ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखी चौंका देने वाली बात

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पटना। बिहार की राजधानी पटना में एक रिटायर्ड डीएसपी ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक का नाम के चंद्रा है। उन्होंने अपने जीवन में 62 एनकाउंटर किए थे। मौत को गले लगाने से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा जो किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। उन्होंने सुसाइड नोट में जलजमाव के चलते हो रही मानसिक परेशानी के चलते ये उठाने की बात कही है।

बेटे निश्चय श्रेष्ठ ने बताया कि के. चंद्रा ने सोमवार को पड़ोसी को घर बुलाकर जलजमाव पर नाराजगी जाहिर की थी। सेवानिवृत्त डीएसपी के पुत्र व पेशे से अधिवक्ता निश्चय श्रेष्ठ ने बताया कि पिता मंगलवार की सुबह जागने के बाद अपने कमरे से निकलकर बरामदे में बैठे और सुसाइड नोट लिखा। इसके कुछ देर बाद अपने कमरे में गए और वहां से लाइसेंसी पिस्टल निकालकर कनपट्टी के दाएं हिस्से में गोली मारकर जीवनलीला समाप्त कर ली। फायरिंग की आवाज सुनकर दूसरे कमरे में सो रहे पुत्र निश्चय श्रेष्ठ पिता के.चंद्रा के कमरे की ओर दौड़े। गोली लगने से सेवानिवृत्त डीएसपी की मौके पर ही मौत हो गई थी।

पुत्र निश्चय श्रेष्ठ ने बताया कि पिता के.चंद्रा ने नौकरी में रहते कुल 62 अपराधियों का एनकाउंटर किया था। साथ ही रोसड़ा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में दो नक्सली को मार गिराने में के. चंद्रा की बड़ी भूमिका रही थी।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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