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चाइनीज फोन को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, जानकर कांप जाएंगे आप

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लखनऊ। अगर आप वीवो और एमआई समेत चाइना की कम्पनियों के मोबाइलों पर ही भरोसा करते हैं तो सावधान हो जाइए। अगर आपने अभी भी चीनी कंपनियों से सामान खरीदना नहीं बंद किया है तो इस खुलासे के बाद जरूर बंद कर देंगे।

चीन के सिर्फ एक कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को तबाही की कगार पर खड़ा कर दिया। अब इसी धोखेबाज़ ड्रैगन चीन के निशाने पर आपका वो मोबाइल है जिसने लॉक डाउन में आपका सबसे ज्यादा साथ निभाया है।

इसलिए सम्भलने का समय आ गया है। अब जरा गौर से सुनियेगा। अगर कोई आपसे आपकी पहचान पूछता है तो जाहिर सी बात है इस सवाल के जवाब में आप अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड या फिर कोई भी दुसरा आईडी प्रूफ ही दिखाएँगे। ठीक यही यूनीक पहचान आपके मोबाइल की भी होती है जिसे आईएमईआई नंबर कहते है। आईएमईआई के जरिये ही एजेंसियां आपका मोबाइल ट्रैक करती है आपकी हर कॉल, मैसेज और  लोकेशन की सारी जानकारी भी यही IMEI ही देता है।

अब आज की खबर आपको वो सच्चाई बताने जा रहा है जिसको सुनकर न सिर्फ आप दांतों तले उँगलियाँ दबाने को मजबूर हो जाएंगे बल्कि अपने प्यारे मोबाइल को भी शक भरी निगाहों से देखेंगे क्या आप सोच सकते हैं सिर्फ एक आईएमईआई देशभर के करीब साढ़े 13 हजार मोबाइलों में चल रहा होगा। रह गए न हैरान। जनाब यूपी पुलिस के  मेरठ जोन की साइबर क्राइम सेल की जांच में यह हैरतंगेज खुलासा हो चुका है। जिस वीवो कम्पनी के मोबाइल की सेल्फी आपको लुभाती होगी उस पर बाकायदा मुकदमा भी करा दिया गया है एक ही आईएमईआई पर हजारों मोबाइलों का चलना देश की आंतरिक सुरक्षा संग बड़ा खिलवाड़ है।

अब आपको बताते हैं आखिर चीनी कंपनियों के इस बड़े खेल का खुलासा आखिर हुआ कैसे। एडीजी मेरठ के कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम के पास वीवो कंपनी का मोबाइल था भई स्क्रीन टूटी तो उन्होंने 24 सितंबर 2019 को मेरठ में ही वीवो के सर्विस सेंटर पर मोबाइल को मरम्मत के लिए दे दिया । बैट्री, स्क्रीन और एफएम बदलकर सर्विस सेंटर ने उन्हें मोबाइल दे भी दिया। कुछ दिन बाद डिस्प्ले पर एरर आना शुरू हो गयी। यूपी पुलिस की साइबर सेल को कुछ शक हुआ तो तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार ने मेरठ साइबर क्राइम सेल प्रभारी प्रबल कुमार पंकज व साइबर एक्सपटर्स विजय कुमार को जांच का जिम्मा सौपा। जांच में पाया गया कि आशाराम के मोबाइल बॉक्स पर जो आईएमईआई लिखा हुआ है, वह वर्तमान में मोबाइल में मौजूद आईएमईआई से बिलकुल अलग है। 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नहीं बदली गई। चूंकि उस मोबाइल में जिओ कंपनी का सिम था इसलिए साइबर सेल ने उक्त आईएमईआई टेलीकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा। वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक देश के अलग-अलग राज्यों के 13557 मोबाइलों में यही आईएमईआई रन कर रहा है।

ये सुनते ही यूपी पुलिस के अफसरों के भी होश फाख्ता हो गए। फिलहाल साइबर सेल ने वीवो इंडिया के नोडल अधिकारी हरमनजीत सिंह को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया। नोटिस के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई। वह यह भी नहीं बता पाए कि ट्राई के किस नियम के अनुसार एक आईएमईआई एक से ज्यादा मोबाइल नंबर पर सक्रिय था  मेरठ के एडीजी राजीव सब्भरवाल ने आज की खबर से बताया, कुछ वर्षों पहले जब चाइनीज फोन आए थे तब उनका आईएमईआई नंबर एक ही होता था। सुरक्षा के लिहाज से यह बड़ा खतरा थे। इसलिए भारत सरकार ने सभी नंबरों को ब्लैक लिस्ट किया। इसके बाद ट्राई के नियम लागू हुए। इसके तहत एक आईएमईआई सिर्फ एक मोबाइल को दिया जा सकता है। एडीजी भी मानते हैं  सुरक्षा के लिहाज से भी ये एक बड़ा  खतरा है। यदि उस आईएमईआई वाले मोबाइल से कोई अपराध हुआ तो हम अपराधी को पकड़ भी नहीं पाएंगे। फिलहाल मुकदमा दर्ज हो चुका है खैर यूपी पुलिस अपनी जांच तो करेगी ही लेकिन चाइनीज कंपनियों की धोखाधड़ी कतई नहीं है लगे हाथ मोबाइल के जरिये हो रहे मॉडर्न फ्राड की भी परतें खोल ही दी जाएँ।

शाओमी मतलब एमआई दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और भारत की टॉप स्मार्टफोन निर्माता कंपनी है एमआई के स्मार्टफोन आपके पास भी जरूर होंंगे। कम्पनी हमेशा सस्ते स्मार्टफोन और जानदार फीचर्स के जरिये ही आपका ध्यान खींचती आई है। क्या आपको पता है चाइना की शाओमी मतलब केे mi स्मार्टफोन की हर ऐक्टिविटी को रिकॉर्ड करती है आपके बेड रूम में हो रही हर एक बात भी। ये हम नहीं बल्कि साइबर रिसर्चर बोल रहे हैं

जी हां, ऐसा ही आँख खोलने वाला  खुलासा दुनिया की सबसे मशहूर मैगजीन फोर्ब्स की रिपोर्ट में किया गया था। दिग्गज अनुभवी साइबर रिसर्चर कविप्स गाबि कर्लिग के हवाले से फोर्ब्स को पता चला था कि वो अपने रेडमी नोट 8 स्मार्टफोन फोन पर जो कुछ भी कर रहे थे, उसे मोबाइल खुद  रिकॉर्ड कर रहा था और उस परसनल डेटा को चीनी टेक दिग्गज कंपनी, अलीबाबा द्वारा होस्ट किए गए रिमोट सर्वर पर भेजा जा रहा था, जो कि शाओमी अर्थात एमआई  ने  किराए पर लिया था।

जब उन्होंने अपने स्मार्टफोन के डिफॉल्ट mi वेब पेज   पर सर्च करना शुरू किया तो उन्होंने पाया कि वहां पर उनकी सभी वेबसाइटों को रिकॉर्ड किया गया है इसमें  सभी गूगल सर्च इंजन का भी रिकॉर्ड था इसके अलावा जो भी न्यूज फीड  देखे गए उनको भी रिकॉर्ड किया गया था शाओमी यानी एमआई का स्मार्टफोन यहाँ तक  रिकॉर्ड कर रहा था कि कौन से फोल्डर्स खोले गए  और कौन सी  स्क्रीन पर स्वाइप किया गया  जिनमें स्टेटस बार और सेटिंग्स पेज तक शामिल थे चीनी मोबाइल ने सारे परसनल  डेटा को सीधे  सिंगापुर और रूस के  सर्वरों को भेज दिया।  सारे सर्वर जिस  वेब डोमेन के लिए काम करते थे  वो सभी चीन की राजधानी  बीजिंग में ही रजिस्टर्ड थे है न कितना हैरान करने वाला खुलासा अब जरा आगे भी सुनिए जांच में खुलासा यहाँ तक हो गया की गूगल प्ले , एमआई ब्राउजर और मिंट ब्राउजर भी एक ही डेटा इकट्ठा कर रहे थे एमआई एमए 10, एमआई रेडमी के 20 और एमआई मिक्स 3 स्मार्टफोन का एक ही ब्राउज़र कोड है इसलिए कयास ये भी लगाए जा रहे हैं चाइना की ये कम्पनी इन स्मार्टफोन्स के जरिये भी जासूसी तो नहीं कर रही है।

खैर चीनी कंपनी शाओमी का घिसा पिटा बयान भी सुन लीजिये की  सभी स्मार्टफोन यूजर्स की प्राइवेसी का पूरा खयाल रखा जाता है खैर शाओमी ने इस  रिसर्च के दावों को सिरे से नकार दिया है।भारत के प्रमुख साइबर एक्सपर्ट का साफ़ कहना है स्मार्टफोन से छेड़छाड़ होना तो काफी आसान है ही, इन्हें बगैर ट्रेस हुए विदेश भी ले जाया जा सकता है। रिसर्च ऐनालिस्ट कहते हैं  भारत में करीब 4-5 प्रतिशत क्लोंड इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (IMEI) नंबर हैं यानी कुल 90 करोड़ से ज्यादा सेलफोन में 5 करोड़ क्लोंड हैं। मतलब समझ रहे हैं न आप। जिस मोबाइल को आप अपनी दुनिया बनाये हैं वो आपकी दुनिया का सबसे बड़ा दुश्मन भी हो सकता है

तकनीक के इस दौर में अब खास टूल की मदद से IMEI को बदलने की काबिलियत भी लोगों के पास आ चुकी है। अब दिक्कत यह है कि सेकेंड हैंड मार्केट के उफान मारने की वजह से क्लोनिंग का जंजाल तेजी से बढ़ रहा है। बिना पकड़े स्मार्टफोन  बेचने के लिए सॉफ्टवेयर में नकली IMEI डालने के साथ हार्डवेयर में भी कुछ बदलाव कर दिया जाता है। सारा खेल मामूली कीमत पर धडल्ले  से जारी है  टूटे या खराब सपेयर smartphon repair   करते  समय imei बदलने  की पूरी संभावना है  प्रिवेंशन ऑफ टेंपरिंग ऑफ द मोबाइल डिवाइस इक्विपमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर, रूल्स 2017 के मुताबिक, IMEI क्लोनिंग दंडनीय अपराध है, जिसके लिए कई वर्षों की जेल हो सकती है।
इण्डिया के कम्युनिकेशन मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स के बनाए गए सेंटर फॉर इक्विपमेंट इंफर्मेशन रजिस्ट्री का शुभारंभ किया था, जो किसी यूजर के ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत करने पर स्मार्टफोन के IMEI नंबर को ब्लॉक कर देगा।

सरकार इस IMEI नंबर को सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बीच ब्लॉक करना चाहती है ताकि कोई भी सिम कार्ड इस पर काम न करे और चुराया गया समर्टफोन बेकार हो जाए।चोरी या खोए हुए फोन को ब्लॉक या ट्रेस करने के लिए सरकार की ओर से लॉन्च की गई सेंट्रल रजिस्ट्री के भी ज्यादा मददगार साबित होने की उम्मीद कतई न रखियेगा चाइना की कंपनियों के स्मार्टफोन्स के जरिये हो रही हो रही जासूसी कैसे रुकेगी। ये तो न ही भारत सरकार के एक्सपर्ट बताते हैं और न ही यूपी सायबर सेल के पुरोधा। इसलिए जानकारी ही बचाव है चाइनीज कंपनियों के स्मार्टफोन आपके लिए ठीक कोरोना वायरस की तर्ज पर काम कर रहे हैं जो तेजी से फैलने के बाद ही आपको नजर आएगा आपकी प्राइवेट लाइफ पब्लिक हो उससे पहले सावधान  हो जाइये।

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बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, बांदा जेल में बिगड़ी थी तबीयत

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लखनऊ। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है। बांदा जेल में मुख्तार को हार्ट अटैक आया था, इसके बाद मुख्तार अंसारी को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक जेल से लाते वक्त मुख्तार बेहोश था। मुख्तार अंसारी की हालत गंभीर बनी हुई थी। 9 डॉक्टरों का पैनल मुख्तार अंसारी के लिए तैनात किया गया था। इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। इस मामले में मेडिकल कॉलेज बांदा के प्रिंसिपल ने चुप्पी साधी हुई है। उधर मुख्तार की मौत के बाद मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू हो गई है। इसके साथ ही यूपी में हाई अलर्ट है और सभी कप्तानों को अलर्ट पर रहने पर कहा गया है।

प्रयागराज में मुख्तार और उनके परिवार का इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस देखने वाले वकील अजय श्रीवास्तव प्रयागराज से बांदा के लिए रवाना हो गए हैं। उनका कहना है कि जेल या प्रशासन की तरफ से अभी तक मुख्तार अंसारी के परिवार को कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि मुख्तार के बेटे उमर अंसारी भी बांदा के लिए रवाना हो गए हैं।

बता दें कि मुख़्तार अंसारी की तबियत रात में अचानक खराब हो जाने और शोचालय में गिर जाने के कारण उसे तत्काल जेल डॉक्टर ने उपचार दिया गया। इसके बाद जिला प्रशासन को अवगत कराकर डॉक्टर्स की टीम बुलायी गई थी। डॉक्टर्स ने मुख्तार  को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। इसके बाद बंदी मुख्तार अंसारी को पुलिस सुरक्षा में मेडिकल कालेज बांदा में भर्ती करा दिया गया था।

बता दें कि मुख्तार अंसारी को पिछले 18 महीने में 8 मामलो में सजा मिल चुकी थी, उसके खिलाफ अलग-अलग जिलों के थानों में कुल 65 मुकदमे दर्ज थे। पिछले 18 सालों से मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। यूपी की बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उसे बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था,लेकिन इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।

 

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