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नेशनल

नहीं थम रही कोरोना की रफ्तार, बीते 24 घंटे में इतने बढ़ गए मामले

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नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की रफ्तार बढ़ती चली जा रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख 12 हजार के पार चली गई है। इनमें से 3 हजार 435 लोगों की मौत हुई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी। स्वास्थय मंत्रालय ने गुरुवार सुबह आंकड़े जारी करते हुए कहा, “अब तक कुल 1 लाख 12 हजार 359 लोग कोरोनावायरस महामारी की चपेट में आए हैं, जिनमें से 3 हजार 435 लोगों ने संक्रमण के चलते अपनी जान गंवाई है।”

मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में 63 हजार 624 लोग कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त हैं, जबकि उपचार के बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए 45 हजार 299 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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