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नेशनल

कोरोना वायरस के मामले भारत में बढ़कर हुए 1 लाख के पार

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस  के मामले भारत में 1 लाख के पार चले गए हैं। जबकि देश में 3 हजार से ज्यादा लोग की कोविड-19 संक्रमण के चलते मौत हुई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा, “देश भर में कुल 1 लाख 1 हजार 137 लोग कोरोनावायरस संक्रमण से संक्रमित हुए है, जबकि महामारी के चलते 3 हजार 163 लोगों की मौत हुई है।”

मंत्रालय ने आगे कहा, “वर्तमान में कुल 58 हजार 802 लोग कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त हैं, जबकि उपचार के बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए 39 हजार 173 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।”

देश मे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम अभी भी कोरोना मुक्त राज्य बने हुए हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश में कोरोना मरीजो की संख्या मंगलवार सुबह तक 2 हजार 484 पहुंच गई। इनमें से 1 हजार 552 लोग को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया, जबकि संक्रमण के कारण यहां 50 मौतें हुईं।

असम में अब तक 107 लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हुए। इनमें से दो की मौत हुई और 41 को डिस्चार्ज किया गया है। उधर, बिहार में मंगलवार सुबह तक 1 हजार 391 लोग इस वायरस की चपेट में आए, जिनमें से 9 की मौत हुई और 494 को डिस्चार्ज किया गया। चंडीगढ़ में 196 मामले सामने आए हैं, 54 को डिस्चार्ज किया गया और तीन की यहां मौत हुई है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के 93 मामले सामने आए हैं, यहां 59 को डिस्चार्ज किया गया है। इस बीच दादर नगर हवेली में सिर्फ एक मामला सामने आया है।

राजधानी दिल्ली में आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार सुबह तक यहां 10 हजार 54 लोग वायरस से पीड़ित थे, जिनमें से कुल 4 हजार 485 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है और 168 लोगों की यहां मौत हुई है। उधर, गोवा में सिर्फ 38 मामले सामने आए हैं, इनमें से भी 7 को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

गुजरात में यह आंकड़ा 11 हजार 745 पहुंच चुका है। राज्य में महामारी के चलते 694 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि उपचार के बाद 4 हजार 804 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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