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राहत पैकेज की दूसरी किस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की ये बड़ी घोषणाएं

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देश के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी। इसी पैकेज को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई घोषणाएं की। आईए जानते हैं इस नए पैकेज में किसे क्या मिला…

  • किसानों के लिए 30,000 करोड़ अतिरिक्त इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंड नाबार्ड को दिए जाएंगे। यह नाबार्ड को मिले 90 हजार करोड़ के पहले फंड के अतिरिक्त होगा और तत्काल जारी किया जाएगा।

 

  • वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना अगस्त 2020 तक लागू होगी। इससे देश के किसी भी हिस्से में डिपो से राशन ले सकते हैं।मार्च 2021 तक शत प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी कर ली जाएगा। मजदूर अपने हक का राशन देश के किसी भी डिपो से ले सकता है।
  • मिडिल इनकम ग्रुप जिनकी 6 से 18 लाख सालाना कमाई है, उन्‍हें मिलने वाली हा​उसिंग लोन पर क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की डेडलाइन मार्च 2021 तक बढ़ी। इसकी शुरुआत मई 2017 में हुई थी. सरकार के फैसले से 5 लाख परिवारों को मिलेगी राहत।

 

  • अगले दो महीने तक प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज दिया जाएगा। बिना कार्ड वाले प्रवासी मजदूर को 5 किलो अनाज और एक किलो चना प्रति परिवार दिया जाएगा। इस मद में 3500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को लाभ होगा। इसे लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। 23 राज्यों के 63 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
  • 50 लाख रेहड़ी-पटरी कारोबारियों के लिए 10 हजार रुपये का विशेष लोन दिया जाएगा, इसके लिए सरकार 5 हजार करोड़ खर्च करेगी।
  • प्रवासी मजदूरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कम किराये के मकान की योजना शुरू होगी। इसके तहत प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों को कम कीमत पर रहने के लिए मकान मिल सके। इसे पीपीपी मोड के जरिए लागू किया जाएगा।

 

  • मनरेगा के तहत 13 मई तक रोजाना 62 करोड़ रोजगार सृजित किए गए।औसत मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये किया गया। न्यूनतम मजदूरी में भेदभाव खत्म करेंगे। ये पूरे देश में एक जैसा हो, ये कोशिश करेंगे। वेतन देने के तरीके को सरलीकृत किया जाएगा।

 

  • सरकार ने मुद्रा स्‍कीम के तहत 50000 रुपये या उससे कम के मुद्रा (शि‍शु) लोन चुकाने पर तीन महीने की छूट मिली है। इसके बाद 2 फीसदी सबवेंशन स्कीम यानी ब्याज में छूट का फायदा अगले 12 महीने तक दिया जाएगा। करीब 3 करोड़ लोगों को कुल 1500 करोड़ का फायदा।

 

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पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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