नेशनल
सीएम केजरीवाल ने लॉकडाउन को लेकर मांगी थी राय, 5 लाख लोगों ने दिया सुझाव
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन को लेकर जनता से सुझाव मांगा था जिसपर उन्हें लोगों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है।
सीएम ऑफिस की ओर से बताया गया कि ई-मेल पर 10,700, फोन पर 39,000 और चेंज डाट आर्ग पर 22,700 सुझाव जनता ने भेजे हैं। इसमें जनता ने 17 मई के बाद परिवहन, बिजनेस, स्कूल-कॉलेज और इंडस्ट्री समेत विभिन्न मुद्दों पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। जनता से मिले सुझाव के आधार पर 15 मई को दिल्ली सरकार रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार के पास भेज देगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कहा, प्रधानमंत्री ने 17 मई के बाद लॉकडाउन में ढील देने को लेकर मुख्यमंत्रियों से 15 मई तक सुझाव मांगे हैं। दिल्ली के लोग किन-किन क्षेत्रों में कितनी ढील चाहते हैं, इस पर वे 13 मई की शाम 5 बजे तक अपने सुझाव दे सकते थे। इसके लिए फोन नंबर 1031, वाट्सएप नंबर 8800007722 और एक ईमेल पर सुझाव मांगे गए, जिनपर जनता के जबर्दस्त रेस्पांस मिले।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, मैं अपने दिल्ली के लोगों का सुझाव जानना चाहता हूं। क्या-क्या चीजें खुलनी चाहिए और क्या-क्या चीजें नहीं खुलनी चाहिए? इसके बारे में लोग बताएं।
दिल्ली सरकार के मुताबिक, लोगों की तरफ से कई मुद्दों पर अपनी राय रखी गई। जिसमें ज्यादातर लोगों ने परिवहन, बिजनेस, स्कूल-कॉलेज और इंडस्ट्री को पटरी पर लाने के सुझाव दिए। लोगों ने मेट्रो, बस, टैक्सी संचालन पर अपने सुझाव दिए हैं।
बदली परिस्थिति में स्कूल-कॉलेज संचालन पर भी लोगों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। लोगों ने बिजनेस को पटरी पर लाने और अर्थव्यवस्था को फिर से ठीक करने के लिए एमएसएमई व बिजनेस तथा इंडस्ट्री पर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
इसके अलावा भी लोगों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने सुझाव दिए हैं। जिसपर दिल्ली सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इसी आधार पर रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को लॉकडाउन में ढील देने के लिए भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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