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नेशनल

कोरोनाः देश में तेजी से बढ़ रहा वायरस, संख्या बढ़कर हुई 52 हजार के पार

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नई दिल्ली। भारत में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गुरूवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के की ओर से जारी किए गए ताजा अपडेट के मुताबिक देश में अब कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 50 हजार के आंकड़े को पार कर गई है।

अब देश में कोरोना के कुल कंफर्म केस की संख्या 52 हजार 952 है। इसमें से 1783 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 15 हजार 267 लोग ठीक हो चुके हैं। देश में एक्टिव केस 35 हजार 902 हैं।

पिछले 24 घंटो में देश में करीब 3500 नए मामले आए हैं और करीब 90 लोगों की मौत हुई है। पिछले तीन दिनों में संक्रमण बढ़ने की रफ्तार सबसे तेज है। 4 मई को देश में 41 हजार संक्रमित थे, जो अब यानी 7 मई की सुबह तक बढ़कर करीब 53 हजार हो चुके हैं। हर रोज औसतन 3500 नए मामले सामने आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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