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कोरोना से जंग जीत रहा है भारत, एक और राज्य हुआ पूरी तरह वायरस मुक्त
नई दिल्ली। देश में हर रोज कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में अब तक कुल कोरोना के 23 हजार से ज्यादा संक्रमण के केस सामने आ चुके हैं। वहीं इससे मरने वाले लोगों की संख्या भी 718 हो गई है।
इस बीच कोरोना को लेकर एक राहत की खबर भी आई है। भारत का एक और राज्य कोरोना से मुक्त हो गया है। इस राज्य का नाम त्रिपुरा है। त्रिपुरा में मौजूदा समय में एक भी कोरोना के केस नहीं हैं। इस बात की जानकारी खुद मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देब ने दी है।
गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्री विप्लब ने बताया कि उनका राज्य कोरोना से मुक्त हो गया है। देब ने ट्वविटर पर लिखा, देब ने लिखा, ‘अपडेट त्रिपुरा में कोरोना का दूसरे मरीज की कई टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके साथ ही हमारा राज्य कोरोना से मुक्त हो गया है। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वह सामाजिक दूरी बनाए रखें और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। घर पर रहिए, सुरक्षित रहिए।’
?UPDATE!
The Second corona patient of Tripura has been found NEGATIVE after
consecutive tests.Hence our State has become Corona free.
I request everyone to maintain Social distancing and follow Government guidelines.
Stay Home Stay Safe.
Update at 08:20 PM, 23th April
— Biplab Kumar Deb (@BjpBiplab) April 23, 2020
मुख्यमंत्री बिप्लब ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘मां त्रिपुरसुंदरी जी के आशीर्वाद से तथा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दिखाए मार्ग से प्रेरित होकर, हमारा अपना त्रिपुरा आज कोरोना मुक्त हो गया है। आशा है कि जल्द ही पूरा भारत और फिर पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी से मुक्त होगा। जय हिंद।’
डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं सभी डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम पंक्ति में खड़े योद्धाओं और लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने त्रिपुरा को कोरोना संक्रमण से मुक्त बनाने में मदद की। सामाजिक दूरी और उचित दिशानिर्देशों का पालन करके हम इसे बनाए रखने की पूरी कोशिश करेंगे। माता त्रिपुरसुंदरी हमें आशीर्वाद दें।’
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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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