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प्रादेशिक

‘सेल्फी विद स्माइल’ के ज़रिए कोरोना को मायूस कर रहा सरल केयर फाउंडेशन

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लखनऊ । सरल केयर फाउंडेशन ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 21 दिन लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।

इस अभियान में विश्व स्तर पर फैली “कोरोना वायरस” बीमारी के खिलाफ लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। “लोक डाउन” के 21 आराम से कट सके इसलिये लोगो को घर मे रहते हुए अपनी रचनात्मकता दिखाने का अवसर दिया जा रहा है। केवल घर के बड़े लोग ही नही सबसे बड़ी संख्या में बच्चो ने इसमे हिस्सा लिया।

सोशल मीडिया के सहारे प्रचार अभियान

सरल केयर फाउंडेशन की प्रेसीडेंट रीता सिंह ने बताया कि “संस्था के फेसबुक और वट्सअप ग्रुप में शामिल लोगों को हर दिन एक नया टॉपिक दिया जाता है। टॉपिक के अनुसार लोग इसमे प्रतिभाग करते है। सभी प्रतिभागियों के फोटो संस्था के पेज पर पोस्ट करके इनका उत्साह बढ़ाने का काम किया जाता है।”

विभिन्न प्रतियोगिताओ का आयोजन

रीता सिंह ने बताया कि अब तक “फेमली संग फोटो”, “अपनी कविता अपने स्वर”, “कोरोना के खिलाफ पेंटिंग”, “सेल्फी विद स्माइल”, “कोरोना से बचाव के लिए स्लोगन राइटिंग”, “मास्क लगा कर कोरोना से बचाओ अभियान”, “कोरोना से बचाव में हैंडवाश अभियान”, “कोरोना से बचाव में फिटनेस अभियान” और “कोरोना से बचाव में सेनेटाइजर अभियान” प्रमुख हैं।

हर दिन नया अभियान

रीता सिंह ने बताया कि संस्था का प्रयास है कि लोग अपने घरों में रहते हुए भी समाज से जुड़े रहे। इस समय सोशल मीडिया की भूमिका बहुत उपयोगी है। इसका प्रयोग करके केरोना के खिलाफ जागरूकता फैलाई जा सकती है। लोग अपने घरों में तनावग्रस्त ना हो इस लिए उनको सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म का उपयोग करके आपस मे जोड़ा जा सके। संस्था का प्रयास है कि लोक डाउन के 21 दिन हर दिन एक नए रचनात्मक कार्य को किया जा सके और दूसरे लोगो को इसके जरिये आगे किया जा सके। लोगो की बहुमुखी प्रतिभा से सभी को अवगत कराया जा सके।

कोरोना को हराना है हमने मन मे ठाना है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 21 दिन लॉक डाउन के आह्वान को सफल बनाने के लिए “सरल केयर फाउंडेशन” ने इस दौरान द्वारा 21 दिन तक ”ऑन लाइन जागरूकता अभियान” की शुरूआत की । जिंसमे हर दिन एक नई एक्टिविटी का आयोजन किया जाता है।

03 अप्रैल 2020 को लोगो ने “कोरोना वायरस” के खिलाफ जागरुकता के लिए एक वीडियो मेसेज देने का काम किया। इस मेसजे मे बच्चे और बड़े सभी लोगो ने हिस्सा ले कर कहा कि “करोना को हराना है हमने मन मे ठाना है स्टे एट होम’.

 

 

जागरूकता अभियान :

“कोरोना वायरस” कई तरह से लोगो को परेशान कर रहा है. 21 दिन घर मे रहना मानसिक तनाव का कारण बन रहा है। घरों में कैद हो गए बड़े और बच्चे दोनो ही मानसिक दबाव में है. बच्चे भी परेशान है।

परिवार तनाव और दबाव और तनाव से दूर रहे इसके लिये “सरल केयर फाउंडेशन” ने अपने वट्सअप ग्रुप में एक रचनात्मक कार्यों की मुहिम शुरू की है। जिसमें हर दिन एक नई “ऑन लाइन एक्टिविटी” आयोजित की जाती है। हर शाम दिन भर की प्रतियोगिता के फोटो या वीडियो सरल केयर के पेज पर अपलोड किये जाते है जिससे प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वालों को हौसला अफजाई हो सके।

भाग लेने वाले प्रमुख लोग :

03 अप्रैल 2020 को कोरोना के खिलाफ वीडियो से संदेश देने वालो में स्वरा त्रिपाठी, संजीव गुप्ता, पर्निका श्रीवास्तव, उर्वी पांडेय, सुराभी शर्मा, काव्यंजली सिंह चौहान, मनोज सिंह चौहान, अनिका सक्सेना, मायरा अग्रवाल, संचिता, सुभाष मिश्रा, रचना अग्रवाल, रीता सिंह, शिखा उपाध्याय, रेनू अग्रवाल, शरद अग्रवाल, रोहन वर्मा, दीप्ति अग्रवाल, रुद्र सिंह, सबूरी सक्सेना, शिखा शुक्ला, आशिका जैन, स्वाति अहलूवालिया, सुनीता राय, संजोली पांडेय और दीपिका अग्रवाल प्रमुख थे।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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