आध्यात्म
महाकुंभ 2021 के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृत की 375 करोड़ की धनराशि
महाकुंभ 2021 को दिव्य रूप देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से ₹375 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। उत्तराखंड के हरिद्वार में ये भव्य आयोजन अगले साल होना है।
हरिद्वार महाकुंभ को भव्य और दिव्य रूप देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा ₹375 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। इस विशेष आर्थिक सहयोग के लिए मा. प्रधानमंत्री @narendramodi जी व वित्तमंत्री श्रीमती @nsitharaman जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। #HaridwarMahaKumbh2021
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) April 4, 2020
वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ को लेकर प्रदेश सरकार बड़ी तैयारियां कर रही है। इस आयोजन को लेकर सरकार ने कई विभागीय अधिकारियों को ज़िम्मेदारी भी सौंपी है।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आभार जताते हुए लिखा – हरिद्वार महाकुंभ को भव्य और दिव्य रूप देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा ₹375 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। इस विशेष आर्थिक सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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