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अब घर बैठे कराएं कोरोना वायरस की जांच, ये कंपनी दे रही सुविधा

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मामले हर दिन के साथ दुनिया भर में बढ़ते चले जा रहे हैं। फिलहाल इसकी कोई वैक्सीन इजाद नहीं हो सकी है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांचकर इस वायरस पर काबू पाया जा सकता है।

यहीं कारण है कि कुछ ही समय में Corona Test Kit की डिमांड तेजी से बढ़ी है। इस बीच Practo ने कोरोना को लेकर बड़ा ऐलान किय है। प्रोक्टो ने कोरोना टेस्ट (Covid-19) कराने के लिए अब ऑनलाइन सुविधा शुरू की है। कंपनी ने इसके लिए थायरोकेयर के साथ पार्टनर्शिप किया है।

बंगलुरू की इस कंपनी ने कहा है कि थायरोकेयर के साथ मिल कर Covid-19 डिटेक्शन टेस्ट किए जा रहे हैं और इसे भारत सरकार ने अप्रूव किया है। इसके साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने भी इसे अप्रूवल दिया है।

Practo ने कहा है, ‘फिलहाल मुंबई के लोगों के लिए टेस्ट ऑनालइन उपलब्ध है और जल्द ही इसे पूरे देश के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए डॉक्टर का वैलिड प्रेसक्रिप्शन की जरूरत होगी और टेस्ट रिक्विजिशन फॉर्म फिल करना होगा जिसे फिशियन साइन करेंगे. टेस्टिंग के दौरान फोटो आईडी कार्ड की भी जरूरत होगी’

Covid-19 टेस्ट को प्रैक्टो की वेबसाइट से 4,500 रुपये में बुक किया जा सकता है। बुकिंग के बाद पेशेंट के सैंपल के लिए घर पर ही रिप्रेजेंटेटिव भेजे जाएंगे जो सैंपल कलेक्ट करेंगे।

कंपनी ने कहा है कि सैंपल कलेक्शन के लिए भेजे गए रिप्रेजेंटेटिव ICMR द्वारा जारी किए घए सभी गाइडलाइन का पालन करेंगे। टेस्टिंग लिए स्वैब वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम के जरिए कलेक्ट किए जाएंगे। इसे कोल्ड चेन में थायरोकेयर लैबोरेटरी भेजा जाएगा जिसे Covid-19 टेस्टिंग के लिए चुना गया है।

कंपनी ने कहा है कि Covid-19 का टेस्ट रिजल्ट वेबसाइट पर सैंपल कलेक्शन के 24-48 घंटे के अंदर जारी कर दिया जाएगा। प्रैक्टो के चीफ हेल्थ स्ट्रैटिजी ऑफिसर डॉ. ऐलेक्जेंडर कुरूविला ने कहा है, ‘वाइडस्प्रेड टेस्टिंग COVID-19 के प्रिवेंशन के लिए क्रटिकल है। जिसे भी कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं वो इसकी टेस्टिंग करा सकते हैं’

डॉ. ऐलेक्जेंडर ने ये भी कहा है कि सरकार लगातार लैब सेंटर को बढ़ाने का काम कर रही है। प्रैक्टो ने इसके लिए थायरोकेयर के साथ पार्टनर्शिप की है ताकि इस टेस्ट के ऐक्सेस में कोई समस्या न हो।

इस लिंक पर क्लिक करके आप Practo की वेबसाइट पर Covid-19 टेस्ट पैकेज बुक करा सकते हैं और इसके बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं.। इस तरह की जानकारी आपको थायरोकेयर की वेबसाइट पर भी मिल जाएंगी।

 

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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