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10 सेकेंड तक सांस रोकने से हो सकती है कोरोना की जांच? सच्चाई जानें यहां

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। कोविड -19 नाम का यह वायरस भारत में भी तेजी से पांव पसार रहा है। इस बीच कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावा किए जा रहे हैं।

नए दावे के मुताबिक घर पर ही कोरोना मरीज की पहचान की जा सकती है। सोशल मीडिया के दावे के मुताबिक 10 सेकेंड तक सांस रोक कर चेक किया जा सकता है कि आपको कोरोना हुआ है या नहीं।

13 मार्च को फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया गया था। इसमें कहा गया था कि यदि 10 सेकंड सांस रोकने पर किसी व्यक्ति को खांसी, गले में जकड़न या अन्य कोई समस्या नहीं होती तो वह इंसान बिल्कुल ठीक है।

सोशल मीडिया पर फैली इस जानकारी की असल सच्चाई यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर डॉक्टर फहीम यूनुस ने बताई है। डॉ. फहीम ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे ऐसे दावों को महज अफवाह बताया है।

डॉ. फहीम ने कहा, ‘पूरी दुनिया में ऐसे कई कोरोना वायरस पीड़ित हैं जो 10 सेकेंड से ज्यादा अपनी सांस रोक पाने में सक्षम हैं। जबकि दूसरी ओर, कई बुजुर्ग कोरोना वायरस पीड़ित न होने पर भी इतनी देर अपनी सांस को नहीं रोक सकते।’

न्यूयॉर्क के पुलमोनोलॉजिस्ट एंड इनफेक्शियस डिसीज स्पेशलिस्ट डॉ. थॉमस नैश ने भी इसे अफवाह बताया है। सोशल मीडिया पर फैलाई गई इस अफवाह के पीछे स्टैनफोर्ड हॉस्पिटल का हवाला दिया गया है।

जबकि 13 मार्च को स्टैनफोर्ड हॉस्पिटल की तरफ से किए गए ट्वीट में यह स्पष्ट कहा गया है कि ऐसी कोई भी जानकारी अस्पताल द्वारा नहीं दी गई है।

बता दें कि कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अबतक भारत में 511 लोग कोरोना के पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें से 10 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र और केरल हैं।

महाराष्ट्र में अब तक 101 और केरल में 95 केस सामने आए हैं। कोरोना की वजह से 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। 135 करोड़ लोगों का देश को लॉकडाउन किया जा रहा है। 548 जिलों को लॉकडाउन किया गया है।

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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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