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प्रादेशिक

कनिका कपूर मामलाः CMO ने माना FIR में थीं कई गलतियां

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बॉलीवुड अभिनेत्री कनिका कपूर की रिपोर्ट में खामियों की बात को स्वीकार कर लिया है, जिसके कारण अभिनेत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इसमें सुधार करने का अनुरोध किया है।

दरअसल, सीएमओ द्वारा सरोजनी नगर पुलिस स्टेशन में दायर शिकायत में की गई शिकायत में कहा गया था कि कनिका 14 मार्च को अमौसी हवाई अड्डे पर पहुंची थीं और उनका परीक्षण पॉजिटिव आया था। उन्हें 14 दिनों के लिए खुद को अलग करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने सरकारी आदेश का उल्लंघन कर लोगों से मिलना-जुलना जारी रखा।

सीएमओ ने अब स्पष्ट किया है कि कनिका को सरकारी दिशा-निदेशरें के अनुसार 14 दिन के लिए अलग रहने की यूके से मुंबई आने पर मुंबई हवाई अड्डे पर दी गई थी, ना कि लखनऊ के अमौसी हवाई अड्डे पर।

कनिका एक घरेलू उड़ान के जरिए पर अमौसी हवाई अड्डे पर आई थी, जबकि थर्मल स्कैनिंग केवल अंतरराष्ट्रीय आगमन के लिए की जा रही थी।

सीएमओ ने अपने पत्र में लिखा है कि कनिका 11 मार्च को लखनऊ आईं, यहां दो दिनों तक पांच सितारा होटल में रूकीं, लोगों से मिलीं, कई जगह गईं और पार्टियों में शामिल हुईं।

जिस शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें कई गलतियां थीं। जैसे कनिका का अमौसी हवाई अड्डे पर पॉजिटिव परीक्षण आया था, रिपोर्ट में कनिका की उम्र 28 बताई गई है जबकि वह 41 साल की है।

इसी तरह उनके आने की तारीख भी गलत बताई गई। वह 11 मार्च को लखनऊ पहुंची थीं, लेकिन शिकायत में कहा गया कि वह 14 मार्च को आई थी, उसके पते में भी ‘अज्ञात’ लिखा गया है। इस बारे में सीएमओ ने कहा कि यह ‘लिपिकीय गलतियां’ थीं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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