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आध्यात्म

जली हुई चिता की राख से यहां लोग खेलते हैं होली, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे

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एक पुरानी परंपरा के अनुसार भगवान भोलेनाथ जब रंगभरी एकादशी को पार्वती का गौना करा कर जाते हैं, उस दिन वो समस्त देवी देवताओं व काशी वासियों के साथ होली खेलते हैं। वहीं उसके दूसरे दिन उनके गण, भूत, पिचास साधु, सन्यासी भी उनके साथ होली खेलने के लिए उनका इंतजार करते हैं और भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को बिना इंतजार कराएं अगले दिन पहुंच जाते हैं।

वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की भस्म के साथ होली खेली जाती है।  मणिकर्णिका घाट जहां पर भूत प्रेत और साधु सन्यासियों के साथ होली खेलते हैं, वह होती है दुनिया की सबसे अनोखी होली चिता भस्म की होली।

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कहा जाता है ये होली पुरानी परंपरा के साथ चलती चली आ रही है, जहां मणिकर्णिका घाट पर स्थित मणिकर्णिकेश्वर महादेव का सबसे पहले सिंगार किया जाता है ,उसके बाद उनकी आरती के साथ ही चिता भस्म और अबीर गुलाल एक दूसरे पर लोग डालना शुरू कर देते हैं।

मंदिर के बाद ये कारवां चिताओं के बीच में पहुंचता है, जहां डीजे की धुन पर लोग एक दूसरे के ऊपर चिता भस्म की राख को उड़ाते हुए होली का आनंद लेते हैं । वहीं एक तरफ चिता जल रही होती है तो दूसरी तरफ चिताओं की ठंडी राख एक दूसरे पर फेंककर होली का आनंद लिया जाता है और कहा जाता है एक दिन सभी को इसी तरह चिताओं में भस्म हो जाना है, तो फिर क्यों मौत से डरना आज के इस अलौकिक होली में काशी वासियों के साथ विदेशी भी जमकर झूमते हैं और एक दूसरे पर चिता की भस्म को फेंकते हैं।

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होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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