नेशनल
#NirbhayaCase : 20 मार्च को सुबह 05:30 बजे होगी दरिंदो को फांसी
निर्भया रेप और हत्याकांड मामले में चारों दोषियों के पास कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दिल्ली अदालत ने नया डेथ वारंट जारी कर दिया है। इस नए डेथ वारंट के मुताबिक, सभी दोषियों को 20 मार्च सुबह 05:30 बजे फांसी की सजा होगी।
दिल्ली की पटियाला हाउस में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा की कोर्ट ने दोषियों को गुरुवार तक अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अभियोजन के वकील ने कहा कि अब दोषियों को नोटिस की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन वहीं, अदालत ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है और दूसरे पक्ष को सुने जाने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जिस विपक्षी नेता की वजह हार गई थी BJP, उसके साथ खड़े हुए सीएम योगी
कोर्ट के इस फैसले के बाद निर्भया की मां ने राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया है। निर्भया की मां ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज करने के लिए भी धन्यवाद दिया।निर्भया की मां ने कहा कि अब उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद पूरी होने वाली है।
निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप और बर्बरता से हमला हुआ था। निर्भया की 29 दिसंबर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गयी थी।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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