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55 राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को होगा चुनाव, अधिसूचना हुई जारी
नई दिल्ली। अप्रैल और मई महीने में खाली हो रहीं राज्यसभा की 55 सीटों के लिए आज अधिसूचना जारी कर दी गई। 26 मार्च को चुनाव होंगे। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार राज्यसभा की 17 राज्यों में 55 सीटे खाली हो रहीं हैं। इन सीटों पर 26 मार्च को मतदान होगा और उसी दिन मतगणना भी होगी।
गौरतलब है कि 17 राज्यों से 48 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल आगामी दो अप्रैल को, दो राज्यों से पांच राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल तीन अप्रैल और झारखंड से दो सदस्यों का कार्यकाल तीन मई को समाप्त हो रहा है। जिन सीटों पर मतदान कराए जाएंगे उनमे महाराष्ट्र से सात सीट, बिहार से पांच, उड़ीसा में चार, तमिलनाडु में छह, पश्चिम बंगाल में पांच, आंध्र प्रदेश में चार, तेलंगाना में दो, असम में तीन, छतीसगढ़ में दो, गुजरात मे चार, हिमाचल प्रदेश में एक, झारखण्ड में दो, मध्यप्रदेश में तीन, मणिपुर में एक, राजस्थान में तीन और मेधली में एक सीट पर मतदान कराए जाएंगे।
चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक, नामांकन की अंतिम तिथि 13 मार्च तय की गई है। वहीं, नामांकन पत्रों की जांच 16 मार्च को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 15 मार्च है। मतदान 26 मार्च को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और शाम पांच बजे मतगणना होगी।
जिन लोगों की राज्यसभा की सीटें खाली हुई हैं, उनमें गृह मंत्री अमित शाह और दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली की सीट है। गौरतलब है कि लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद अमित शाह ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा जिन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें भाजपा नेता आर. के. सिन्हा, राज्यसभा के सभापति हिरवंश, जेडीयू नेता कहकशा परवीन , रामनाथ ठाकुर, भाजपा सांसद प्रभात झा जैसे नेता शामिल हैं।
इसके अलावा जिन प्रमुख नेताओं का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ,रामदास अठावले, दिल्ली भाजपा नेता विजय गोयल, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और एनसीपी प्रमुख शरद पवार शामिल हैं।
फिलहाल भाजपानीत राजग और अन्य मित्रदलों की सदस्य संख्या राज्यसभा में 106 और अकेली भाजपा की संख्या 82 है, जबकि 425 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 सदस्यों की आवश्यकता होती है।
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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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