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प्रादेशिक

वारिस पठान के भड़काऊ बयान के बाद AIMIM चीफ ओवैसी ने उठाया ये कदम

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नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वारिस पठान के भड़काऊ बयान पर एक्शन लिया है। पार्टी प्रमुख पठान पर कड़ा रुख अपनाते हुए उनके मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी है। औवैसी के इस कदम से वारिस पठान अब सार्वजनिक रूप से बयान नहीं दे पाएंगे।

बता दें कि कर्नाटक के गुलबर्गा में वारिस पठान ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जनसभा को संबोधित करते हुए भड़काऊ बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘हम 15 करोड़ ही 100 करोड़ लोगों पर भारी हैं। यह बात याद रख लेना।’ जिसके बाद उनकी आलोचना की गई, असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बयान की निंदा की थी।

वारिस पठान AIMIM के प्रवक्ता हैं और हिन्दी पट्टी में पार्टी का जाना-माना चेहरा हैं। रैली में वारिस पठान बोले थे ‘हमने ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख लिया है। मगर हमको इकट्ठा होकर चलना पड़ेगा। आजादी लेनी पड़ेगी और जो चीज मांगने से नहीं मिलती है, उसको छीन लिया जाता है।’

हालांकि बयान पर बवाल बढ़ता देख उन्होंने सफाई भी दी। अपनी सफाई में उन्होंने कहा कि मैंने किसी धर्म का नाम नहीं लिया और ना ही किसी के खिलाफ कुछ कहा। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी वारिस पठान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। तेजस्वी का कहना था कि उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लेना चाहिए। तेजस्वी ने इसी के साथ बीजेपी पर भी निशाना साधा था और कहा था कि AIMIM बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रही है।

उत्तर प्रदेश

वरिष्ठ आईएएस दीपक कुमार बने यूपी के नए अपर मुख्य सचिव गृह

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लखनऊ। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपक कुमार यूपी के नए अपर मुख्य सचिव गृह बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने छह राज्यों- गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिव को हटाने के आदेश जारी किए थे। साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव को भी हटा दिया गया था।

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) को हटाने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई की थी। इलेक्शन कमीशन ने बृहन्मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल और अतिरिक्त आयुक्तों और उपायुक्तों को भी हटा दिया था। आयोग ने सचिव जीएडी मिजोरम और हिमाचल प्रदेश को भी हटा दिया था, जो संबंधित सीएम कार्यालय में प्रभार संभाल रहे थे।

इन सात राज्यों में जिन अधिकारियों को हटाया गया है, उनके पास संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के कार्यालय में दोहरे प्रभार थे, जो चुनावी प्रक्रिया के दौरान जरूरी निष्पक्षता, खासकर कानून व्यवस्था सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर भी समझौता कर सकते थे। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को 2016 में सूबे के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सक्रिय चुनाव ड्यूटी से हटा दिया था। महाराष्ट्र ने कुछ नगर आयुक्त और कुछ अतिरिक्त/उप नगर आयुक्त के संबंध में चुनाव आयोग के निर्देश नहीं माने थे, जिन्हें 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के वक्त बताया गया था।

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