प्रादेशिक
योगी सरकार ने पेश किया ऐतिहासिक बजट, किए ये 14 बड़े ऐलान
लखनऊ। योगी सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश का चौथा बजट पेश कर दिया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में यूपी का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया।
5 लाख 12 हजार 860 करोड़ 72 लाख का यह बजट कई मामलों में ऐतिहासिक है। बजट में 10 हजार 967 करोड़ 87 लाख की नई योजनाएं शामिल की गई हैं।
योगी सरकार के इस बजट में पर्यटन, संस्कृति और धर्मार्थ कार्यों के लिए अलग से बजट तय किया गया है। अयोध्या को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने की योगी सरकार की योजना है।
अयोध्या में उच्चस्तरीय सुविधाओं को स्थापित करने के लिए 85 करोड़ की व्यवस्था की गई है। तुलसी स्मारक भवन के लिए 10 करोड़ की व्यवस्था की गई है।
वाराणसी में संस्कृति केंद्र की स्थापना के लिए 10 करोड़ की व्यवस्था की गई है। वाराणसी में संस्कृति केंद्र की स्थापना के लिए 180 करोड़ की व्यवस्था की गई है।
पर्यटन इकाई के प्रोत्साहन के लिए 50 करोड़ की व्यवस्था की गई है। गोरखपुर के रामगढ़ ताल में वाटर स्पोर्ट्स के लिए 25 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए योगी सरकार बजट आवंटित करेगी।
1. प्रधानमंत्री आवास के तहत 5 लाख आवास का निर्माण लक्ष्य 6240 करोड़ का आवंटन.
2. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव के लिए 5,791 करोड़ रुपये.
3. मनरेगा की विभिन्न योजनाओं के तहत 4800 करोड़ रुपये.
4. जल शक्ति एवं नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति के लिए 6 हजार करोड़ अटल भू-जल योजना.
5. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए 200 करोड़ रुपये.
6. अयोध्या एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़ रुपये.
7. युवाओं के रोजगार सृजन और प्लेसमेंट हब के लिए 1200 करोड़ रुपये.
8. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना पर भी है योगी सरकार का जोर-
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत 100 टॉपर छात्राओं को खास तोहफा मिलेगा. अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति में टॉपर छात्राओं को लैपटॉप दिया जाएगा. डिप्लोमा सेक्टर में प्रवेश परीक्षाओं में चुने जाने वाले 300 छात्र-छात्राओं को लैपटॉप दिया जाएगा.
9. दिल्ली से मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए 900 करोड़ रुपये.
10. गांवों में जल जीवन मिशन को 3000 करोड़ रुपये.
11. KGMU को 919 करोड़ रुपये.
12. अटल आवासीय विद्यालय के लिए 270 करोड़ रुपये.
13. बजट में 10 हज़ार 967 करोड़ 87 लाख की नई योजनाएं सम्मिलित
14. लखनऊ में राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल की स्थापना के लिए 50 करोड़ रुपये
नेशनल
जो राम को लाए है, वो ‘राम’ के भरोसे है
कमल भार्गव
एक बरसों पुराना मशहूर भजन है ‘तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करें ..’। इन दिनों चल रहे चुनावी माहौल में इस भजन को कई मायनों में सटीक माना जा सकता है। पहला भारतीय जनता पार्टी द्वारा बीती जनवरी में अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर एक मास्टर स्ट्रोक खेलना तो दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश खास तौर पर मेरठ में भगवान राम का किरदार रुपहले पर्दे पर निभाने वाले अरुण गोविल को मरेठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर अपना उम्मीदवार बना कर माहौल को राममय करने की कवायद की है।
देखा गया है कि बीजेपी खास तौर पर मोदी-शाह के फैसले ज्यादातर चौंकाने वाले होते रहे है। एक बार फिर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मेरठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर हैट्रीक लगाने वाले मौजूदा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का टिकट काट कर रुपहले पर्दे के ‘राम’ अक्का अरुण चन्द्रप्रकाश गोविल को अपना प्रत्याशी घोषित कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। काफी हद तक को महानगर कि जनता को यह समझ नहीं आ रहा कि पार्टी का ये फैसला सही है या गलत है। हर किसी के अपने-अपने तर्क है। शहर की जनता का मानना है कि जो मिजाज और लोगों को एक स्थानीय नेता समझ सकता है वो एक बाहरी समझ से परे हो सकता है। देखा जाए तो ये तर्क इस लिए भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि सन 1952 से लेकर अब तक के लगभग सोलह लोक सभा चुनावों में से दस बार बाहरी प्रत्याशी ने इस सीट का नेतृत्व किया है। इसमें वर्ष 1951, 1957, 1962 व 1971 के चुनाव में शाह नवाज खान सांसद के तौर पर शामिल है। इसी प्रकार छठी, सातवीं व आठवीं लोक सभा में एक बार फिर से कांग्रेस कि कद्दावर नेत्री महोसिना किदवई को प्रत्याशी बना गया था और उन्होंने बाहरी प्रत्याशी के तौर पर तीनों बार चुनाव में जीते हासिल की थी। वहीं सन 1999 में भी कांग्रेस ने अवतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था ओर वो इस सीट से सांसद चुने गए थे।
ऐसे में एक बार फिर मौजूदा रुलिंग पार्टी ने टीवी धारावाहिक रामायण के राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव हो चुका है। अब सभी की निगाह दूसरे चरण पर है। भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही अपनी चुनावी अगाज पिछले कई चुनावों में करती आ रही है। इस बार पीए मोदी ने नारा दिया है ‘अब की बार चार सौ पार’। कहा जा सकता है कि भाजपा इस क्षेत्र में कोई चांस लेना नहीं चाहती है और खास तौर पर पहले और दूसरे चरण में अपनी पार्टी के लिए बढ़त बनने की पूरी कोशिश कर रही है। काफी हद तक माना जा रहा है कि मजबूत दावेदारी और प्रत्याशियों के मान मनोवल के लिए मेरठ अकेले में प्रधानमंत्री मोदी एक बार तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मात्र लगभग दो से तीन सप्ताह के अंतराल में तीन जन सभा तो एक सम्मेलन को समबोधित कर चुके है।
एक नजर राजनीतिक समीकरण पर डाले तो मेरठ समेत वेस्ट यूपी में किसान और गन्ना एक बड़ा मुद्दा रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र को जाट लैंड के तौर पर भी माना जाता है। बाकी हर चुनाव में मतदान से पहले धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण होना एक आम धारना है। 2024 के रण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक राहत तो सत्ताधारी पार्टी के लिए कम से कम है और वो है आखिर में राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन होना। माना जा सकता है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जाना और जंयत चौधरी का साथ कही ना कही किसान और जाटों को एक जुट करने में मददगार साबित होगी। पर एकाएक ठाकुरों का एकाएक बीजेपी से नाराजगी जताना और दूरी बनाना भी एक चिंता का विषय बना हुआ है।
लेकिन अब सवाल है दलित – मुस्लिम – हिन्दू वोट बैंक का। इस बार के चुनाव में बीजेपी और आरएलडी एक साथ है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन चुनावी मैदान में है, तो वही मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले ही मोर्चा सँभाले हुए है। इसे रणनीति कहा जाए जा फिर सोची समझी चाल कि मेरठ – हापुड सीट पर किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं उतारा है। देखा जाए तो शायद ये ऐसा पहले मौका होगा। अब तक ये देखा गया है कि आखिर में चुनाव मेरठ और आसपास के शहरों में हिन्दू – मुसलिम के नाम ही होता रहा है। ऐसे में वोट धर्म – जात बिरादरी के नाम पर बिखरता नजर आ रहा है। माना जा सकता है कि मुस्लिम काफी हद तक समाजवादी पार्टी के तरफ जा सकता है तो दलित बहुजन समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य दलों में बट सकता है। भगवा पार्टी को उम्मीद है कि उसके पक्ष में हर वर्ग जाति और समाज का वोटर है। ऐसे में ‘राम’ की एंट्री को बीजेपी अपना तुरप का इक्का मान रही है। पार्टी से जुड़े लोगों की माने तो ‘राम जी’ के आने से ना सिर्फ मेरठ में फर्क पड़ेगा बल्कि सम्पूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राम लहर देखी जा सकेगी।
‘राम’ के सक्रिय राजनीति में आने से अब पीएम मोदी और सीएम से लेकर पार्टी का हर छोटा और बड़ा कार्यकर्ता इसे अपनी प्रतिष्ठा मान रहा है। देखा जाए तो हर स्तर पर राम यानी अरुण गोविल के लिए जन सभा और समर्पक, रोड शो की जा रही है। लेकिन ऐसे में स्थानीय की जगह बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतरना और ‘राम’ बाण का चलाना कितना सफल रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा।
-
फैशन2 hours ago
बालों को काला-घना और मजबूत बनाने के लिए अपनाएं यह आसान उपाय
-
नेशनल1 day ago
लोकसभा चुनाव: पहले चरण में मोदी सरकार के 11 कैबिनेट मंत्रियों की परीक्षा, देखें लिस्ट
-
नेशनल1 day ago
अमरोहा की रैली में बोले पीएम मोदी, ‘मोहम्मद शमी का कमाल पूरी दुनिया ने देखा’
-
नेशनल1 day ago
संजय सिंह ने उठाया सवाल, कहा- क्या जेल में केजरीवाल को जहर देकर मारने की रची जा रही साजिश
-
नेशनल1 day ago
पीएम मोदी की लोगों से अपील, इस बात मतदान का नया रिकार्ड बनाएं
-
उत्तर प्रदेश1 day ago
लोकसभा चुनाव: पहले चरण में यूपी की आठ सीटों पर वोटिंग जारी, कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर
-
अन्तर्राष्ट्रीय1 day ago
हेलीकॉप्टर दुर्घटना में केन्या के रक्षा प्रमुख की मौत, राष्ट्रपति ने दिए जांच के आदेश
-
नेशनल1 day ago
वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी होंगे नए नौसेना चीफ, 30 अप्रैल को संभालेंगे पदभार