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प्रादेशिक

सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनन्द बर्द्धन ने की बैठक

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प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनन्द बर्द्धन ने मंगलवार को एनआईसी, सचिवालय में राजकीय और अनुदानित महाविद्यालयों के प्राचार्यों और हर जनपद के नोडल अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिग के ज़रिए से बैठक ली।

उन्होंने कहा कि सभी महाविद्यालयों में शिक्षक टीचिंग प्लान, पाठ्यक्रम पूर्ण होने की स्थिति, शिक्षकों की तैनाती, छात्र-छात्राओं की संख्या, एडूसेट के माध्यम से शिक्षण कार्य, नेट वर्क कनेक्टिविटी की उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई।

जिन दूरस्थ स्थित महाविद्यालयों में कतिपय विषयों में शिक्षकों की तैनाती नहीं है और स्थानीय स्तर पर प्राचार्य के विज्ञापन निकालने के पश्चात भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, वहां यह निर्देश दिए गए कि निदेशालय स्तर से उन महाविद्यालयों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया जाए और उन दूरस्थ महाविद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती की जाए।

उन्होंने कहा कि सभी स्नात्तकोत्तर महाविद्यालयों में 10-20 बच्चों का ग्रुप बनाकर मेन्टरशिप की व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए गए। महाविद्यालयों में स्थित लाइब्रेरी में पाठ्यक्रम पुस्तकों के साथ रिफ्रेन्सबुक और कई प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं से सम्बन्धित पुस्तकें/सामग्री भी सम्मलित करने और पाठ्यक्रम से सम्बन्धित नावेललोरिएट की पुस्तकों की भी व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया गया।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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