प्रादेशिक
‘मेहनत से मेरी बच्चे पाले नहीं जाते’
सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के बल्दीराय स्थित पारा बाजार में डॉ. सूरज वैश्य ने कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया। कवि कर्मराज शर्मा तुकांत ने बढ़ती महंगाई पर दो टूक कहा, ‘मेहनत से मेरी बच्चे पाले नहीं जाते।’ हरदोई से आईं कवयित्री व्याख्या मिश्रा ने वाणी वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की। वहीं कवि कर्मराज शर्मा तुकांत ने कहा, “मेहनत से मेरी बच्चे पाले नहीं जाते, हर रोज उनके मुंह में निवाले नहीं जाते/ महंगाई घटाने को दिन-रात कमाता हं, ताउम्र हथेली से छाले नहीं जाते।” वहीं संयोजक कवि पुष्कर अग्रहरि ने गजल के माध्यम से कहा, “आग है जलेगी ही, इसको दोष क्यूं दें हम, आशियां गरीबों के आंधियां जलाती हैं/ तुम दुआ बुजुर्गो की लेकर चल पड़ो पुष्कर, बद्दुआएं तो अक्सर बस्तियां जलाती हैं।”
हास्य के कवि रविशंकर श्रीवास्तव नरकंकाल की चुटीली चुटकियों पर श्रोता देर तक ठहाके लगाते रहे। प्रतापगढ़ से आए कवि अनीस देहाती ने अवधी में पढ़ा “राम रमौझा दुआ बंदगी अस गायब मैं पांडो/ वह देखौ अब्दुल्ला चाचा खसकेन आड़े-आड़े।” बाराबंकी से पधारे हास्य कवि विकास बौखल ने पढ़ा, “इस महंगाई में कन्हैया तुम आओगे तो सच कहता हूं रोटी-दाल मार डालेगी, दो-दो सिम मोबाइल है गोपियों के हाथ, पूरी-पूरी रात मिसकॉल मार डालेगी।” इनके अलावा विख्यात मिश्र, मंजुल, अजय सिंह, संतोष सिंह, सुजान प्रतापगढ़ी, अख्तर मौलवी इनाम उल्ला, दिनेश पाण्डेय दिनकर, कुलदीप पाण्डेय, मयंक, प्रियंका शुक्ला उन्नाव ने भी काव्य पाठ किया। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि राम अवसान दूबे अनुज ने कई छंद मुक्तक प्रस्तुत किए।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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