नेशनल
गोडसे को देशभक्त बताना साध्वी प्रज्ञा को पड़ा भारी, डिफेंस कमेटी से निकाली गईं
नई दिल्ली। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताना बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को महंगा पड़ गया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने साध्वी प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति से निकाल दिया है।
इसके साथ ही सत्र के दौरान होने वाले बीजेपी संसदीय दल की बैठकों में भी साध्वी प्रज्ञा को नहीं आने का फरमान सुनाया गया है। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “सांसद प्रज्ञा ठाकुर का बयान निंदनीय है और भाजपा ऐसे बयानों का और ऐसी विचारधारा का कत्तई समर्थन नहीं करती है।”
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी लोकसभा में प्रज्ञा के बयान की निंदा करते हुए कहा, “नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहे जाने की बात तो दूर, हम उन्हें देशभक्त मानने की सोच की ही निंदा करते हैं। महात्मा गांधी हम लोगों के आदर्श हैं। वह पहले भी हमारे मार्गदर्शक थे और भविष्य में भी मार्गदर्शक रहेंगे। उनकी विचारधारा उस समय भी प्रासंगिक थी, आज भी है और आगे भी रहेगी।”
गौरतलब है कि बुधवार को एसपीजी संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान द्रमुक सांसद ए. राजा ने बहस के दौरान महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े नाथूराम गोडसे के बयान का जिक्र किया। यह सुनते ही भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर खड़ीं होकर चीख पड़ीं। उन्होंने गोडसे को देशभक्त बताते हुए ए. राजा के बयान का विरोध किया।
बीजेपी ने प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की 21 सदस्यीय सलाहकार समिति में सदस्य नियुक्त किया था, जिसके अध्यक्ष रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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