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प्रादेशिक

विवादित स्थल पर बनेगा राम मंदिर, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मिलेगी 5 एकड़ जमीन

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नई दिल्ली। अयोध्या पर पांचों जजों ने सर्वसम्मति से फैसला दे दिया है। फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि मंदिर और मस्जिद में 400 साल का अंतर है। फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे खारिज किए जाते हैं। क्योंकि, दोनों पक्षों की दलीलें कोई नतीजा नहीं देती।

अयोध्या पर फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि हिंदू मानते हैं कि गुंबद के नीचे रामलला का जन्म हुआ। आस्था पर जमीन के मालिकाना हक का फैसला नहीं है। सीजेआई ने ASI की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित ढांचा खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था।

CJI रंजन गोगोई ने कहा कि हिंदू गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान मानते हैं, मुस्लिम उसे इबादत की जगह मानते हैं। दावों पर कोई फैसला नहीं दिया जाता. लेकिन, हिंदू मानते हैं कि गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान है। विवादित स्थल पर हमेशा से पूजा होती आई है। हिंदू वहां सीता की रसोई भी मानते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लोग विवादित स्थल के अंदरूनी हिस्से को ही राम जन्म भूमि मानते हैं। अंदरूनी हिस्से में हमेशा से पूजा होती थी। उन्होंने आगे कहा कि इस केस में हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए। बाहरी चबूतरा, राम चबूतरा और सीता की रसोई में भी पूजा होती थी।

सीजेआई ने कहा- विवादित स्थल पर मस्जिद बनने के बाद से नमाज का दावा साबित नहीं होता। 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे। मुस्लिमों ने मस्जिद को कभी नहीं छोड़ा।

रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अयोध्या के विवादित स्थल के बाहरी क्षेत्र पर हिंदुओं का दावा साबित होता है। 1856 से पहले मुस्लिमों का गुंबद पर दावा साबित नहीं होता , खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था लेकिन मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रमाण नहीं।

” अंदरूनी हिस्सा विवादित है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को विवादित स्थल की 5 एकड़ जमीन दी जाए। सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक जमीन दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन दे।” सीजेआई ने कहा।

अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी। रामलला को जमीन के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के पांचों जजों ने एकमत से ये फैसला दिया। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा लिमिटेशन के बाहर है।

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल का अंदरूनी और बाहरी चबूतरा ट्रस्ट को दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू करे।

उत्तर प्रदेश

जौनपुर की चुनावी जंग हुई रोचक, बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को बनाया उम्मीदवार

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लखनऊ। बसपा ने उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि दूसरी ओर सपा ने एक वक्त में मायावती के करीबी रहे बाबू सिंह कुशवाहा को यहां से टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपाशंकर सिंह को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है।

मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक पहले बाहुबली धनंजय सिंह के सपा से चुनाव लड़ने की अफवाहों से सियासी गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई थी। इसके बाद उन्हें सजा हो गई और उनका लोकसभा चुनाव लड़ना टल गया। इन सबके बीच सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को इस सीट से मैदान में उतार दिया। इसके बाद बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी को टिकट देकर यहां मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। उन्होंने बीएसपी के ऐलान के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘जय भीम जय जौनपुर’। उनके इस पोस्ट से सियासी हलचल बढ़ गई है।सूत्रों की मानें तो अब जौनपुरी सीट पर सियासी जंग काफी रोचक हो गई है।

इससे पहले उन्होंने धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट कर लिखा था, ‘आप सभी से एक अपील।हम आपकी भावनाओं की कद्र करते हैं लेकिन फैसला न्यायपालिका ने दिया है जिसका हमें सम्मान करना‌ चाहिए व साथ ही साथ अपने नेता श्री धनंजय जी का अनुसरण करते हुए किसी भी नेता अथवा दल के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आपके नेता के व्यक्तित्व पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने आगे कहा था, ‘कभी किसी भी दल अथवा नेता के लिए ग़लत शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, कृपया आप भी संयम बनाएं, धैर्य से काम लें।आपके नेता को आपके सहानुभूति की जरूरत है। उम्मीद करती हूं कि आप मेरी बातों पर अमल करेंगे।बता दें कि जौनपुर सीट पर छठवें चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे।

 

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