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नेशनल

अयोध्या केसः सुनवाई हुई पूरी, SC ने दिया मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए 3 दिन का समय

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर भूमि विवाद को लेकर चल रही सुनवाई बुधवार को समाप्त हो गई। 40 दिन लगातार चली सुनवाई के बाद पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक कई दशकों से चल रहे इस मामले पर नवंबर में फैसला आ सकता है। माना जा रहा है कि चीफ जस्टिस के रिटायर होने से पहले संवैधानिक पीठ इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की कोई निश्चित तारीख नहीं बताई है।

मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए तीन दिन का वक्त

दोनों पक्षों की ओर से अपील के दौरान जो गुहार लगाई गई है क्या इससे भी इतर आगे-पीछे क्या कुछ गुंजाइश बनती है? पक्षकारों को लिखित रूप में यह बताने के लिए कहा गया है।

हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है। इसके अलावा पीठ ने सभी पक्षों से तीन दिनों के भीतर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपना-अपना लिखित पक्ष पेश करने का निर्देश दिया है। पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई मौखिक बहस नहीं होगी।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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