प्रादेशिक
लखनऊ में शुरू हुई यूपी स्टेट कुंग फू चैंपियनशिप, 22 जिलों की टीमों ने लिया हिस्सा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी स्टेट कुंग फू चैंपियनशिप का आगाज हो गया। मंगलवार को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में यूपी कुंग फू एसोसिएशन के सचिव ज्ञान प्रकाश, महासचिव भारतीय कुंगफू संघ मंजू त्रिपाठी, भारतीय कुंग फू संघ के उपाध्यक्ष चन्द्रसेन वर्मा और मुख्य अतिथि कमलकांत गौतम ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर चन्द्रसेन वर्मा ने कमलकांत गौतम को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इसके बाद कमलकांत गौतम ने प्रतियोगिता की औपचारिक शुरुआत की।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश के 22 जिलों से आए खिलाड़ियों ने कुंग फू की विभिन्न कलाओं का अत्यंत रोमांचक प्रदर्शन किया। उनके इस प्रदर्शन को देखकर वहां बैठा हर कोई दंग रह गया।
इस मौके पर बोलते हुए भारतीय कुंग फू संघ के उपाध्यक्ष चन्द्रसेन वर्मा ने कहा कि हम सभी यहां 22 जिलों से इकट्ठे हुए हैं। हम यहां हारे या जीतें ये ज्यादा ज़रूरी नहीं है। जरूरी ये है कि हम कला को पूरे देश में फैला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुंग फू एक ऐसी कला है जिसमें हथियारों का कोई प्रयोग नहीं होता बल्कि वह अपने शरीर को हथियार के रूप में प्रयोग कर के अपनी रक्षा करना होता है।
वहीँ, इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि कमलकांत गौतम ने कहा कि इस कला को हमें अपने दैनिक जीवन में लाना चाहिए। ये हम सबके लिए बेहद जरुरी है।
इस आयोजन के लिए कुंग फू एसोसिएशन को बधाई। दुनिया भर में कुंग-फू की अपनी अलग पहचान और सम्मान है। कुंग-फू पर आधारित फिल्में भारत में बहुत अधिक पसंद की गईं।
ये एक ऐसी कला है जिसके द्वारा इंसान अपने प्रतिद्वंदी को बिना हथियार के ही चित कर सकता है। उन्होंने कहा कि कुंग फू खेल से आत्मरक्षा को बढ़ावा मिलता है। भारत वर्ष में इस खेल की शुरुआत तब हुई थी, जब अस्त्र-शस्त्र चलन में नहीं थे।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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