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नेशनल

मॉब लिंचिंग पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कही ये बड़ी बात

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नई दिल्ली। विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ की। इसके साथ ही मॉब लिचिंग पर अपने विचार रखे। मंगलवार को संघ के स्थापना दिवस पर उन्होंने कहा कि भारत में समाज की समता व समरसता की स्थिति जैसी चाहिए, वैसी अभी नहीं है।

हिंसा की घटनाएं न हों, इसलिए स्वयंसेवक प्रयासरत रहते हैं। परंतु जो परंपरा भारत की नहीं है ऐसी परंपरा और घटनाओं को दर्शाने वाले ‘लिंचिंग’ जैसे शब्द देकर सारे देश को व हिंदू समाज को सर्वत्र बदनाम करने का प्रयास होता है। उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता, सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति ही आज की स्थिति में नितांत आवश्यक है।

मोहन भागवत ने जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, “देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित शासक दल तथा इस जन भावना का संसद में समर्थन करने वाले अन्य दल भी अभिनंदन के पात्र हैं। जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है। धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है।”

देश में मंदी पर भी मोहन भागवत ने राय रखी। उन्होंने कहा की “आर्थिक व्यवस्था चक्र की गति में आई मंदी सर्वत्र कुछ न कुछ परिणाम देती है। अमरीका व चीन में चली आर्थिक स्पर्धा के परिणाम भी भारत सहित सभी देशों को भुगतने पड़ते हैं।”

उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर कहा, “स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है। केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर द्वीपों वाले टापुओं की निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी। देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के मामले भी बढ़े हैं।”

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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