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प्रादेशिक

आईआईटी रुड़की दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में शामिल हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आईआईटी रूड़की के वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को उपाधियां वितरित की। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आईआईटी रूड़की जैसे संस्थान शिक्षा के केंद्र मात्र नहीं हैं। ये नवाचार और रचनात्मक विचारों के हब भी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान में वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थाओं में छात्राओं का अनुपात अपेक्षाकृत कम है। उच्च स्तरीय तकनीकी संस्थाओं में छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। जब ऐसा होगा तो हमारी विज्ञान संबंधी उपलब्धियां अधिक वांछनीय और हितकारी हो सकेंगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि जून 2018 में राज्यपाल सम्मेलन में उन्होंने सुझाव दिया था कि विश्वविद्यालय ‘यूनिवर्सिटी सोशल रेस्पोंसिबिलिटी’ को अपनाएं। खुशी है कि आईआईटी रूड़की के छात्रों ने सामुदायिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाई है। उत्तराखण्ड में उन्होंने पांच गांव चिन्हित किए हैं और इन गांवों की जल प्रबंधन, स्वच्छता, दक्षता विकास आदि समस्याओं का समाधान करने के लिए ग्रामीणों के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा स्वच्छता ही सेवा के तहत हरिद्वार व रूड़की में गंगा घाट पर गंगा स्वच्छता अभियान में प्रतिभागिता की है। इस तरह की पहल कर आईआईटी रूड़की के छात्रों ने ‘यूनिवर्सिटी सोशल रेस्पोंसिबिलिटी’ को कार्यरूप दिया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईआईटी रूड़की के उपाधि धारकों को बधाई देते हुए कहा कि मानव व्यवहार से तकनीक को सहजता से जोड़ना, शिक्षित व्यक्ति का कर्तव्य है। प्राप्त शिक्षा का उपयोग, देश के कल्याण में किस तरह से किया जा सकता है, इस पर विचार करें।  उन्होंने कहा कि कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में छात्रों का जीवन काफी तनावपूर्ण हो रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री के योग के संदेश को अपनाने की जरूरत है। इससे जीवन तनावमुक्त होता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। तभी फिट इंडिया का स्वप्न साकार होगा।

”प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का संकल्प लिया है। इसमें हम सभी को सहभागी बनना है। देश को मजबूत करने में अपना योगदान करना है।” सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगे कहा।

उत्तर प्रदेश

रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’

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अयोध्या। देशभर में आज रामनवी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी के मौके पर अयोध्या में खास आयोजन किया जा रहा है। 500 साल बाद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम का सूर्य तिलक किया गया।

वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाया गया। इस दौरान सूर्य की किरणों ने लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाई। शंखों की ध्वनि, मंत्रोच्चारण और पुजारियों की मौजूदगी में सूर्य तिलक के अवसर को और भी शानदार बना दिया। दूसरी ओर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

भगवान राम के सूर्याभिषेक के बाद लोगों ने दिव्य दर्शन किए। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। अयोध्या में रामनवमी की अद्भुत और विह्गम छटा दिखने को मिल रही है। इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर राम मंदिर को फूलों और लाइटिंग से सजाया गया है। राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए हैं। यहां पर रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यहां पर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक के भव्य दर्शन हुए।

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी थी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है। जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा था कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है। जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था।

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