नेशनल
पूर्व पत्रकार को कांग्रेस ने दी बड़ी जिम्मेदारी
नई दिल्ली। कांग्रेस ने पूर्व पत्रकार प्रिया श्रीनेत को पार्टी का प्रवक्ता बनाया है। प्रिया कांग्रेस के दिवंगत वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन की बेटी हैं।
पार्टी के संचार प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, “सोनिया गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता के रूप में सुप्रिया की नियुक्ति को मंजूरी दी है।”
सुप्रिया ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं।
मार्च में, कांग्रेस ने जेल में बंद राजनेता अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी को महाराजगंज से अपने लोकसभा उम्मीदवार के रूप में हटाकर सुप्रिया को उनकी जगह उम्मीदवार बना दिया, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व में सुप्रिया के पिता कर चुके हैं।
मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया और कांग्रेस दोनों द्वारा तनुश्री त्रिपाठी के नाम की घोषणा किए जाने पर पार्टी को बड़ी शर्मिदगी का सामना करना पड़ा था। सुप्रिया के पिता हर्षवर्धन भी कांग्रेस नेता थे।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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