नेशनल
ट्रैफिक नियम तोड़ने पर इन देशों में भी लगता है भारी जुर्माना, पकड़े जाने पर जेब हो जाती है खाली
नई दिल्ली। मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद 1 सितंबर से कुछ राज्यों को छोड़कर ये नया कानून पूरे देश में लागू हो गया। नए कानून के मुताबिक गाड़ी चलाते समय नियमों का उल्लंघन करना आपकी जेब को खाली कर सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे देशों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
ताइवान
ताइवान में भी ट्रैफिक नियम तोड़ने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। अगर इस देश में कोई नशा करके गाड़ी चलाता है तो उसे दो साल की सजा दी जाती है, साथ ही उस पर लगभग 4 लाख 82 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है। यदि नशे की हालत में गाड़ी से दुर्घटना हो जाती है तो सात साल की सजा का प्रावधान है। वहीं यदि दुर्घटना में किसी की मौत हो जाती है तो 10 साल की सजा दी जा सकती है।
ओमान
ओमान में यदि आप गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करते, वीडियो देखते या मैसेज करते हुए पकड़े जाते हैं आपको 10 दिन जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा आपको 56 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है।
फिनलैंड
फिनलैंड में तेज रफ्तार गाड़ी चलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। एक अरबपति से तेज रफ्तार गाड़ी चलाने पर करीब 4 करोड़ 37 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया था।
हॉलैंड
हॉलैंड में तेज रफ्तार गाड़ी चलाने पर हमेशा के लिए गाड़ी को जब्त कर लिया जाता है।
ब्रिटेन
ब्रिटेन में यदि आप गाड़ी चलाते समय किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाते हैं तो पुलिस आपके ऊपर 17 हजार रुपये का जुर्माना लगा सकती है। यह जुर्माना भी पहली बार पकड़े जाने पर देना पड़ेगा। दूसरी और तीसरी गलती करने पर इससे सख्त जुर्माना देना पड़ेगा। यहां गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने पर भारी जुर्माना लगता है।
लगभग 30 देशों में गाड़ी चलाते समय मोबाइल के इस्तेमाल पर सख्त पाबंदी और जुर्माने का प्रावधान है। बरमूडा में 36 हजार रुपए, त्रिनिदाद और टोबैगो में 16 हजार रुपये, कतर में 10 हजार रुपए और फिलीपींस में 7,200 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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