प्रादेशिक
मथुरा के राजकीय बाल गृह में फूड पॉइजनिंग से दो बच्चों की मौत, 12 बीमार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मथुरा में राजकीय बाल गृह (शिशु) में फूड पॉइजनिंग के कारण दो मासूमों की जान चली गई, जबकि दस बच्चे अभी अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन से दो साल के बच्चे और छह माह की एक बच्ची की उल्टी और दस्त से हालत खराब थी। मथुरा के जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्रा ने कहा, “खाद्य विषाक्तता के कारण बारह बच्चे बीमार हो गए, जिनमें से दो की जान चली गई।” उन्होंने 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
उन्होंने कहा कि यह खाद्य विषाक्तता का मामला प्रतीत होता है। ये बहुत छोटे बच्चे हैं इसलिए उचित देखभाल की जानी चाहिए थी, और उच्च अधिकारियों को जल्दी से सतर्क होना चाहिए था।
मिश्रा ने कहा, कर्मचारियों ने कुछ लापरवाही की है। मामला हमारे संज्ञान में लाया जाना चाहिए। जांच का आदेश दिया गया है। उन्होंने 24 घंटे के अंदर मामले पर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होंगे उनसे कड़ाई से निपटा जाएगा।
ज्ञात हो कि दस बच्चे अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इनमें चार आगरा और छह मथुरा जिला अस्पताल में भर्ती हैं। मामले की जांच एडीएम फाईनेंस को सौंपी गई है।
राजकीय बाल गृह (शिशु) में 50 बच्चे हैं। इनमें दो साल से कम आयु के 20 बच्चे हैं। यहां तीन दिन पहले बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत होनी शुरू हुई। बच्चों को डी-हाईड्रेशन और सेप्टिक शॉक की शिकायत थी। इस दौरान दो वर्षीय गोपाल और छह माह की अंशिका की हालत बिगड़ी। शिशु गृह के जिम्मेदारों ने पहले इसे हल्के में लिया। हालत बिगड़ने पर दोनों को आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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