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अब ट्रेन में मिलेगी ये खास सुविधा, जानकर खुशी झूम उठेंगे आप

मुरादाबाद। ट्रेन में सफर करना सभी को अच्छा लगता है, अपने पसंदीदा लोगों के साथ ट्रेन में सफर करना और चलती ट्रेन की विंडो सीट पर बैठकर खड़की के बाहर के नज़ारें देखने का सुखद अनुभव किसी को भी अपना कायल बना सकता है।
ट्रेन का सफर लोगों को इतना पसन्द आता है कि छुट्टियों के दिनों में सबसे ज़्यादा भीड़ रेलवे में ही होती है औऱ इसी का कारण है कि रेलवे सरकार की कमाई का सबसे बड़ा साधन है।
रेलवे तरह-तरह की नई-नई योजनाएं लाकर लोगों को प्रभावित करने का कोई मौका नहीं छोड़ता क्योंकि उसे पता है कि जनता का बड़ा हिस्सा रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में रेलवे का इस्तेमाल करता है।
मगर ज़रा सोचिये कैसा हो अगर आप रेल में रात का सफर कर रहे हों और आपके दिमाग में इस बात की टेंशन हो की अगर आँख लग गई तो सुबह आपका स्टेशन भी मिस हो सकता है या फिर आप ट्रेन में अकेले है तो वक्त गुज़ारने के लिए क्या किया जाए।
इन सभी टेंशन्स को आप भूल जाइए क्योंकि अब रेलवे आपको ऐसी सुविधाएं मुहैया करवाने वाला है जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। ट्रेन के सफर का शौक रखने वालों के लिए यह खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं है।
चलिए आपको बतातें है कि रेलवे आने वाले समय में आपको क्या अतिरिक्त सुविधाएं देने वाला है। दरअसल, रेलवे मेट्रो की तर्ज पर अब ट्रेनों के कोच में डिस्प्ले सिस्टम लगवाने जा रहा है, जिस पर आने वाले स्टेशन का नाम लिखा होगा इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ आडियो सिस्टम भी लगाया जाएगा जिससे आने वाले स्टेशन के नाम की आवाज सुनाई देगी और और तो और इन चीज़ो के साथ ही साथ बचे हुए समय में आपको इस डिस्प्ले सिस्टम पर समाचार और गाने भी सुनाई देंगे।
इसका परीक्षण रेलवे का रिसर्च व डिजाइन एंड स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) कर रहा था। पहले चरण में हमसफर व तेजस ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध कराने की योजना तैयार की जा रही है इसके बाद नए कोच में यह सुविधा फैक्ट्री से लगकर आएगी। इन दोनों के अलावा राजधानी व शताब्दी ट्रेन में भी यह सिस्टम लगाया जा रहा है।
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फांसी देने से पहले कैदी के कान में ये बोलता है जल्लाद..

नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों को भी अब अपनी मौत का डर सताने लगा है। खबर है कि निर्भया के चारों गुनहगारों को इसी महीने फांसी दी जा सकती है। अब तिहाड़ जेल प्रशासन को राष्ट्रपति के पास भेजी गयी दोषी विनय शर्मा की दया याचिका के खारिज होने का इंतजार है। जेल अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजे जाने के बाद से ही जेल में दोषी की फांसी की तैयारी शुरू कर दी जाती है।
आपको बता दें कि किसी को फांसी देते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। जिसके बिना फांसी की प्रक्रिया अधूरी मानी जाती है। फांसी की सजा फाइनल होने के बाद डेथ वारंट का इंतजार होता है। दया याचिका खारिज होने के बाद ये वारंट कभी भी आ सकता है। वॉरंट में फांसी की तारीख और समय लिखा होता है। डेथ वॉरंट जारी होने के बाद कैदी को बताया जाता है कि उसे फांसी होने वाली है। उसके बाद कैदी के परिवार को फांसी से 10-15 दिन पहले सूचना दे दी जाती है ताकि आखिरी बार परिवार के लोग कैदी से मिल सकें। जेल में कैदी की पूरी चेकिंग होती है। उसे बाकी कैदियों से अलग सेल में रखा जाता है।
आगे की बात करने से पहले आपको बता दें कि फांसी के वक्त मुजरिम के साथ जल्लाद के अलावा तीन अधिकारी होते हैं जिनमें जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट शामिल हैं। लेकिन फांसी के फंदे तक ले जाने का काम जल्लाद का है और मौत से ठीक पहले आखिरी वक्त में वो ही मुजरिम के पास होता है। बता दें कि इस पूरे नियम-कानून के बीच सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल काम जल्लाद का ही होता है। फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कानों में कुछ बोलता है जिसके बाद वह चबूतरे से जुड़ा लीवर खींच देता हैं। अगर अपराधी हिंदू है तो जल्लाद उसके कान में राम-राम कहता है और अगर मुस्लिम है तो सलाम। उसके बाद वो कहता है मैं अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं, मैं आपके सत्य की राह पर चलने की कामना करता हूं।
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