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इस जिले में 15 अगस्त को नहीं मनाया जाता आजादी का जश्न, वजह हैरान कर देगी आपको

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नई दिल्ली। 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली थी। इसलिए इस दिन पूरे देश में आजादी का जश्न मनाया जाता है लेकिन भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां 15 अगस्त को नहीं बल्कि 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे का किस्सा भी काफी रोचक है।

दरअसल, बात आजादी से तीन दिन पहले यानी 12 अगस्त 1947 की है। तब ऑल इंडिया रेडियो पर खबर आई कि भारत को आजादी मिल गई है। साथ ही बंटवारे की खबर भी आई। रेडियो के माध्यम से लोगों को पता चला कि पश्चिम बंगाल का नदिया जिला पाकिस्तान में शामिल होने जा रहा है। रेडियो पर ये सुनने के बाद हिंदू बहुल नदिया के इलाके में विद्रोह शुरू हो गया।

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले को लेकर ये प्रशासनिक गलती हुई थी। ये गलती थी उस अधिकारी की जिसे भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की सीमा रेखा तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अंग्रेज अफसर सर रेडक्लिफ ने पहली बार में गलत नक्शा बना दिया था जिससे नदिया जिले को पाकिस्तान में शामिल दिखा दिया गया। इस तरह नदिया जिले को पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया था।

बता दें कि आजादी से पहले नदिया में पांच सब डिविजन कृष्णानगर सदर, मेहरपुर, कुष्टिया, चुआडांगा और राणाघाट आते थे. बंटवारे में ये इलाके जो वर्तमान में शहर हैं, पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर दिए गए थे। इस खबर के फैलने के बाद नदिया में दंगे भड़क उठे। आक्रोशित लोगों के प्रदर्शन से दो दिनों तक बवाल मचा रहा। ज्यादातर लोग ब्रिटिश हुकूमत के फैसले के विरोध में सड़क पर उतर आए थे। यहां महिलाओं ने दो दिनों तक घरों में चूल्हे तक नहीं जलाए। एक तरह से यहां दो धर्मों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे।

उधर नदिया जिले के मुस्लिम पाकिस्तान में शामिल किए जाने की खबर को लेकर उत्साहित हो गए थे। पहले नदिया जिले को पूर्वी पाकिस्तान में शामिल किए जाने को लेकर खबर आई थी। यही नहीं मुस्लिम लीग के कुछ नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ कृष्णानगर पब्लिक लाइब्रेरी पर पाकिस्तानी झंडे फहरा दिए थे। यहां नेताओं ने रैलियां निकालीं और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे। इससे हालात और भी बिगड़ चुके थे।

इलाके में बिगड़ते हालात अब काबू से बाहर थे। आम जनता का विद्रोह इतना बढ़ गया कि ब्रिटिश हुकूमत को अपना फैसला वापस लेना पड़ गया। हुआ यूं कि नदिया जिले में विद्रोह की खबर जब देश के अंतिम वायसराय लोर्ड माउंटबेटन तक पहुंची तो उन्होंने रेडक्लिफ को तत्काल अपनी गलती सुधारने के आदेश दिए।

अब रेडक्लिफ ने नक्शे में कुछ बदलाव किए और नदिया जिले के राणाघाट, कृष्णानगर, और करीमपुर के शिकारपुर को भारत में शामिल किया गया। हालांकि इस सुधार प्रक्रिया में कुछ वक्त लग गया। इस तरह पूरी कागजी कार्रवाई के बाद नदिया जिला 17 अगस्त की आधी रात को भारत में शामिल हुआ। वो इसी दिन भारत का हिस्सा बन पाए यहां के लोगों में उत्साह और इलाके में खुशियां मनाई जानें लगीं।

हिन्दुस्तान में शामिल होने के फैसले के बाद 18 अगस्त को कृष्णानगर लाइब्रेरी से पाकिस्तान का झंडा उतार दिया गया। जिसके बाद यहां पर भारतीय तिरंगा फहराया गया। पूरे देश में जहां 15 अगस्त को ही तिरंगे का जश्न मना लिया गया था, वहीं यहां तिरंगा फहराने की तारीख बदल गई। उस वक्त के कानून के मुताबिक राष्ट्रध्वज के सम्मान में आम नागरिक सिर्फ 23 जनवरी, 26 जनवरी और 15 अगस्त को ही झंडा फहरा सकते थे। लेकिन यहां के लोगों ने 18 अगस्त को झंडा फहरा दिया था।

18 अगस्त को आजादी हासिल करने के नदिया जिले के संघर्ष को यादगार बनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी प्रमथनाथ शुकुल के पोते अंजन शुकुल ने 18 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस मनाने को चुनौती दे दी। उनके लंबे संघर्ष के बाद साल 1991 में केंद्र सरकार ने उन्हें 18 अगस्त को नदिया में झंडा फहराने की इजाजत दे दी। तब से हर साल नदिया जिले और उसके अंतर्गत आने वाले शहरों में 18 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है। 18 अगस्त के दिन यहां लोग पूरे धूमधाम से किसी त्योहार की तरह इस दिन को मनाते हैं। यहां झंडारोहण भी इसी दिन किया जाता है।

 

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वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी होंगे नए नौसेना चीफ, 30 अप्रैल को संभालेंगे पदभार

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नई दिल्ली। वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी नए नौसेना प्रमुख होंगे। दिनेश त्रिपाठी 30 अप्रैल को अपना नया पदभार संभालेंगे और इसी दिन मौजूदा नेवी चीफ आर हरि कुमार सेवानिवृत होंगे।दिनेश त्रिपाठी अभी नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ हैं। वे इससे पहले पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं। अपने 39 साल लंबे करियर में उन्होंने भारतीय नौसेना के कई अहम असाइनमेंट्स पर काम किया है।

वाइस एडमिरल त्रिपाठी का 15 मई 1964 को जन्म हुआ था और एक जुलाई 1985 में वह भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ वाइस एडमिरल त्रिपाठी का करीब 30 वर्ष का लंबा और विशिष्ट करियर रहा है। नौसेना के उप प्रमुख का पद संभालने से पहले वह पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं।

उन्होंने आईएनएस विनाश की भी कमान संभाली थी। रियर एडमिरल के तौर पर वह ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग रह चुके हैं। वह भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला के कमांडेंट भी रह चुके हैं। सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल त्रिपाठी ने गोवा के नेवल वॉर कॉलेज और अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में भी कोर्स किया है। उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) और नौसेना मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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