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नेशनल

भारत ने रचा इतिहास, चन्द्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च

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नई दिल्ली। अंतरिक्ष की दुनिया में सोमवार को भारत ने एक बार फिर इतिहास रचा दिया। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने आज दोपहर 2.43 बजे चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया।

लॉन्चिंग के वक्त श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में जब चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ तो पूरे देश की धड़कनें मानो थम-सी गई थीं क्योंकि लॉन्चिंग के बाद कुछ मिनट काफी अहम होते हैं।

इसीलिए ना सिर्फ स्पेस सेंटर में बैठे वैज्ञानिक बल्कि टीवी पर देख रहे आम आदमी की भी धड़कनें मानो बढ़ गई थीं।  राज्यसभा में चंद्रयान-2 की सफलता पर देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी गई। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन में वैज्ञानिकों को बधाई देने वाला प्रस्ताव पेश किया।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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