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नेशनल

बीजेपी के इस बड़े नेता का हुआ निधन, पार्टी में शोक की लहर

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नई दिल्ली। दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और विधायक मांगे राम गर्ग का सोमवार को निधन हो गया। वो काफी समय से बीमार थे और उत्तरी दिल्ली के एक्शन बालाजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

सुबह 7.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वरिष्ठ नेता के निधन की खबर मिलते ही बीजेपी में शोक की लहर दौड़ गई है। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान (बी-1/64, अशोक विहार, फेज-2) पर रखा गया है।

जानकारी के मुताबिक 12:00 से 1:00 बजे तक दिल्ली स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। मांगे राम गर्ग ने अपने शरीर को दान करने का संकल्प लिया था। भाजपा प्रदेश कार्यालय से उनका पार्थिव शरीर देह दान के लिए 1:00 बजे हॉस्पिटल के लिए ले जाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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