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प्रादेशिक

असम में जापानी बुखार का कहर, 56 लोगों की मौत

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नई दिल्ली। असम में इन दिनों जापानी बुखार बच्चों पर कहर बनकर टूट पड़ा है। बीते दिनों में चमकी बुखार ने न जाने कितने ही बच्चों को चपेट में लिया था और अब उसका बचा हुआ काम जापानी बुखार यानि इन्सेफ़लाइटिस कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार इस बुखार के करीब 216 मामले सामने आये हैं जिनमें से अप्रैल से लेकर अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है। असम सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वस्थ्य विभाग के सभी कर्चारियों की छुट्टियों को सितम्बर अंत तक रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इससे पहले गोरखपुर से बिहार के मुजफ्फरपुर तक फैले चमकी बुखार की वजह सैकड़ों बच्चों की मौत का तांडव देखने को मिला था जिसके बाद इसके बारे में इंटरनेट पर खूब सरचिंग हुई थी। अब इन्सेफ़लाइटिस के बारे में जानने के लिए इंटरनेट पर लगातार सर्च जारी है।

स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा का कहना है, ‘इमर्जेंसी केस में केवल डेप्युटी कमिश्नर को छुट्टी की इजाजत मिलेगी। हमने ये भी निर्देश दिए हैं कि कोई भी डॉक्टर, नर्स या दूसरे स्वास्थ्य कर्मी अपनी पोस्टिंग वाली जगह से बाहर नहीं जाएंगे। इस दौरान कोई भी गैरहाजिर पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही अनाधिकारिक अनुपस्थिति को आपराधिक लापरवाही मानते हुए संबंधित शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।’ शर्मा का कहना है, ‘जेई के लिए असम इस वक्त संक्रमण काल से गुजर रहा है। 5 जुलाई तक जेई के 190 मामले सामने आए, जिनमें 49 मरीजों की मौत हो गई।’

स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कई आपातकालीन कदम भी उठाए हैं। इसके तहत जेई या एईएस (अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित मरीजों को 1000 रुपये स्पेशल ट्रांसपॉर्ट अलाउंस (भत्ता) दिया जाएगा। इसके अलावा दवा, जांच, हॉस्पिटल खर्च के साथ ही आईसीयू में केयर का वहन भी स्वास्थ्य विभाग करेगा। इन्सेफ़लाइटिस से पीड़ित कोई मरीज अगर सरकारी अस्पताल में बेड की अनुपलब्धता की वजह से किसी निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होता है तो अलाउंस के रूप में एक लाख रुपये तक का भुगतान सीधे अस्पताल को किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’

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अयोध्या। देशभर में आज रामनवी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी के मौके पर अयोध्या में खास आयोजन किया जा रहा है। 500 साल बाद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम का सूर्य तिलक किया गया।

वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाया गया। इस दौरान सूर्य की किरणों ने लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाई। शंखों की ध्वनि, मंत्रोच्चारण और पुजारियों की मौजूदगी में सूर्य तिलक के अवसर को और भी शानदार बना दिया। दूसरी ओर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

भगवान राम के सूर्याभिषेक के बाद लोगों ने दिव्य दर्शन किए। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। अयोध्या में रामनवमी की अद्भुत और विह्गम छटा दिखने को मिल रही है। इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर राम मंदिर को फूलों और लाइटिंग से सजाया गया है। राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए हैं। यहां पर रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यहां पर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक के भव्य दर्शन हुए।

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी थी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है। जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा था कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है। जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था।

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