प्रादेशिक
‘आईपीएस’ अधिकारी को इंस्पेक्टर ने पहले चाय-नाश्ता कराया, फिर कपड़े उतरवाकर जेल मे डाल दिया
लखनऊ। कानपुर कोतवाली में एक ‘आईपीएस’ अधिकारी अपने परिवार के साथ थाने पहुंचा जहां पुलिसकर्मियों ने उनका भव्य स्वागत किया।
लेकिन चाय नाश्ता होने के बाद कुछ ऐसा हुआ कि परिवारवालों के सामने ही उस ‘आईपीएस’ के कपड़े उतरवाकर उसे जेल में डाल दिया गया।
दरअसल, एक युवक अपने परिवारवालों के सामने रौब झाड़ने के लिए फर्जी आईपीएस ऑफिसर बनकर कानपुर कोतवाली में जा पहुंचा। अचानक फर्जी आईपीएस के पहुंचने पर कोतवाली में हड़कंप मच गया।
फिर इस फर्जी अफसर को चाय-नाश्ता भी कराया गया। कुछ देर की बातचीत के बाद इंस्पेक्टर को शक हुआ तो उसने कानपुर देहात के एसपी अनुराग वत्स को इसकी जानकारी दी।
मौके पर पहुंचे एसपी ने मामले का खुलासा किया और युवक फर्जी आईपीएस निकला। इसके बाद युवक को हिरासत में ले लिया गया।
कड़ाई से पूछताछ में फर्जी आईपीएस प्रशांत शुक्ला ने शौक के लिए आईपीएस बनने की बात स्वीकार की। उसने बताया कि खुद ही वर्दी सिलवाई है।
इस दौरान प्रशांत का एक रिश्तेदार भी उसके साथ था। बताया जा रहा है कि उसे अपना रौब दिखाने के लिए साथ में ले आया था। लेकिन उसके सामने ही उसकी वर्दी उतरवाकर जेल में डाल दिया गया।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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